औरंगाबाद में स्कूल को बना दिया तबेला, विद्यालय में शिक्षक की जगह मिले मवेशी, बच्चों की पढ़ाई पर संकट
औरंगाबाद जिले के प्राथमिक विद्यालय, चरैया में शनिवार को विद्यालय में बच्चे मौजूद थे, लेकिन बैग नहीं लिये हुए थे. विद्यालय में शिक्षक भी मौजूद थे, लेकिन विद्यालय के दो कमरों में गाय बंधी हुई थी. वहीं, विद्यालय के प्रचार में एक बछड़ा भी बांधा गया था.
औरंगाबाद. बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के सरकार लाख दावे कर ले, लेकिन ये धरातल पर खोखला साबित हो रहे हैं. सरकारी स्कूलों की स्थिति बदतर हो गयी है. ताजा मामला मदनपुर प्रखंड के नक्सलग्रस्त नीमा आंजन पंचायत के प्राथमिक विद्यालय चरैया का है, जहां विद्यालय परिसर को स्थानीय लोगों ने पशुओं का तबेला बना दिया है. विद्यालय के ठीक सामने बने भवन और मैदान में बच्चों को बैठाने के स्थान पर गाय और बछड़े बांधे रहते हैं. गाय के खाने का भूसा भी विद्यालय में ही रखा हुआ है. यदि विद्यालय में पशुओं को बांधा जायेगा, तो गांव के बच्चे कहां पढ़ेंगे. इसको लेकर न तो गांव के लोग जागरूक हैं, न ही शिक्षक व पदाधिकारी. इससे बच्चों का पठन-पाठन बाधित हो रहा है.
पानी की तरह बह रहा सरकार का पैसा
सरकारी स्कूलों पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाये जा रहे हैं. छात्रों की सुविधा को लेकर तरह-तरह की व्यवस्था की जा रही है. लेकिन, इन विद्यालयों की हालत देख कर यहां मिल रही शिक्षा का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. प्राथमिक विद्यालय, चरैया में शनिवार को विद्यालय में बच्चे मौजूद थे, लेकिन बैग नहीं लिये हुए थे. विद्यालय में शिक्षक भी मौजूद थे, लेकिन विद्यालय के दो कमरों में गाय बंधी हुई थी. वहीं, विद्यालय के प्रचार में एक बछड़ा भी बांधा गया था.
बिना सूचना के गायब रहते हैं शिक्षक
नक्सलग्रस्त चरैया गांव के प्राथमिक विद्यालय में प्रधान शिक्षक बिना सूचना के गायब रहते हैं. जब शनिवार को प्रभात खबर की टीम पहुंची, तो पाया कि विद्यालय में दो शिक्षक ही मौजूद हैं. वहीं विद्यालय में मौजूद शिक्षक अनिल सिंह भोक्ता ने बताया कि विद्यालय में 200 बच्चे नामांकित हैं, जबकि शनिवार को विद्यालय में 100 बच्चे उपस्थित थे. शिक्षकों ने बताया कि कुल यहां पांच शिक्षकों की नियुक्ति है, पर अभी प्रधानाध्यापक मीटिंग में औरंगाबाद गये हैं. दो शिक्षकों के भरोसे ही विद्यालय चल रहा है.
शिक्षा विभाग के अधिकारी भी नहीं देते हैं ध्यान
विद्यालय में पशु बांधने के मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों का ध्यान नहीं है. इस मामले में प्रभारी प्रधानाध्यापक ने कहा कि जब विद्यालय चल रहा होता है, तो सामने की बस्ती के लोग स्कूल के बरामदे में आ जाते हैं और शोरगुल मचाते हैं. कक्षा संचालन में दिक्कत होती है. कई बार तो लड़ाई-झगड़ा व मारपीट तक की नौबत आ जाती है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को भी पहल करने के लिए आवेदन दिया गया है, लेकिन अब तक सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है.
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बीइओ ने कहा- विद्यालय की होगी जांच
मदनपुर बीइओ यदुवंशी यादव ने कहा कि विद्यालय की जांच पड़ताल कर जानकारी ली जायेगी. विद्यालय में अनुपस्थित शिक्षकों की पुष्टि होने के बाद कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने कहा कि विद्यालय शिक्षा समिति की जिम्मेदारी है कि वह विद्यालय में शैक्षणिक पठन-पाठन पर ध्यान दें.