बिहार में इन दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजना भूमि सर्वेक्षण पर तेजी से काम हो रहा है. सर्वे को पूरा करने के लिए सरकार ने जुलाई 2025 तक इस काम को पूरा करने का टारगेट रखा है. लेकिन इस सर्वे में सदियों पुरानी कैथी लिपी चुनौती बनकर सामने आई है. जिससे इस काम में समस्या आ रही है. लेकिन अब सरकार ने इस समस्या का समाधान निकाल लिया है. सर्वेक्षण करने वाले राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारी अब सदियों पुरानी कैथी लिपी की ट्रेनिंग लेंगे. इसके लिए अब विभाग ने दो प्रशिक्षकों को नियुक्त किया है। तीन दिन अमीनों को कैथी लिपी की लेखनी को समझने की ट्रेनिंग देंगे. दरअसल मुगल और ब्रिटिश काल में भूमि दस्तावेजों के रिकॉर्ड कैथी लिपी में ही दर्ज हैं. जो बिहार में 1980 तक प्रचलन में थी.
ट्रेनिंग देने के लिए दो प्रशिक्षकों को होगी नियुक्त: जय सिंह
राजस्व और भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि सर्वेक्षण अधिकारियों के सामने ऐसी समस्याओं के बारे में जानकारी मिली है जिसके लिए हर जिले में क्षेत्रीय अधिकारियों को कैथी लिपी समझने की ट्रेनिंग देने के लिए दो प्रशिक्षकों को नियुक्त किया है। जो कैथी लिपि की लेखनी समझने में माहिर हैं। प्रशिक्षक रोटेशन के आधार पर हर जिले में जाएंगे और ट्रेनिंग देंगे जो तीन दिनों तक चलेगी। दरअसल कैथी लिपि में भूमि दस्तावेज पहले भी प्रचलन में थे। और कई भूमि मालिकों के पास ऐसे दस्तावेज थे। इसलिए इस मुद्दे के हर पहलू को देखा जा रहा है।
कई शताब्दियों से प्रचलन में है कैथी लिपि
भू-राजस्व अधिकारियों ने कहा कि लगभग 15-20 साल पहले तक बिहार के कई जिलों में डीड लेखकों द्वारा भूमि रिकॉर्ड लिखने के लिए कैथी लिपि का इस्तेमाल किया जाता था और भूमि डीड बनाने के लिए इस लिपी को समझने वाले लेखक अच्छी रकम भी लेते थे। भू-राजस्व मामलों के विशेषज्ञ संजय कुमार ने बताया कि कैथी लिपि कई शताब्दियों से प्रचलन में है, और मुगल काल के साथ-साथ ब्रिटिश काल में भी इसका प्रचलन था। बैनामा लेखकों का एक विशेष वर्ग कैथी लिपि में जमीन का बैनामा करता था, जो थोड़ा जटिल और अलग है।
कैथी लिपि के भूमि दस्तावेजों को समझना थोड़ा कठिन
लेकिन अब ऐसे बहुत से लोग उपलब्ध नहीं हैं जो इस लिपी की लेखनी से अच्छी तरह वाकिफ हों, राजस्व अधिकारियों के लिए कैथी में लिखे गए पुराने भूमि दस्तावेजों को समझना एक बड़ी चुनौती है। कैथी लिपि के भूमि दस्तावेजों को समझना थोड़ा कठिन है। लेकिन, अधिकारियों को भूमि की माप की उचित समझ हो सकती है, लेकिन कैथी कोई लिपि कोई नहीं जानता है। जिसे समझना थोड़ा मुश्किल है।
सर्वेक्षण के दौरान, खतियान के फॉर्म को भरने के लिए खानापूरी के चरण में पुष्टि करने के लिए एक सहायक दस्तावेज के रूप में भूमि विलेख की जरूरत होती है। अधिकारियों ने कहा कि किरायेदारी के मालिकों का दावा है कि किराया तय करने के लिए उनके पास कब्ज़ा अधिकार है। विभाग के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा अगले कुछ महीनों में काफी गांवों में खानापूरी का दौर शुरू होने वाला है। विभाग के पास अभी भी समय है, कि सर्वेक्षण अधिकारियों को कैथी लिपि और अन्य संबंधित मामलों के बारे में अवगत कराया जाए.
ये भी पढ़ें: बिहार के लाल को Google ने दिया दो करोड़ का पैकेज, पहले अमेजन ने दिया था 1 करोड़ का ऑफर