अवध बिहारी चौधरी ने बिहार विधानसभा अध्यक्ष तो रामचंद्र पूर्वे ने उपसभापति पद के लिए दाखिल किया नामांकन

बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए महागठबंधन की तरफ से राजद के वरिष्ठ नेता अवध बिहार चौधरी ने विधानसभा पहुंचकर अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत महागठबंधन के सभी दलों के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 25, 2022 11:59 AM
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पटना. बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए महागठबंधन की तरफ से राजद के वरिष्ठ नेता अवध बिहार चौधरी ने विधानसभा पहुंचकर अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. इसके साथ ही रामचंद्र पूर्वे ने बिहार विधान परिषद के उपसभापति पद के लिए पर्चा दाखिल किया. इस मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत महागठबंधन के सभी दलों के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. अपना नामांकन दाखिल करने के बाद अवध बिहारी चौधरी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेंबर में पहुंचे और उनसे मुलाकात की.

राजद के कोटे में गया है अध्यक्ष का पद

विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी बिहार विधानसभा में राष्ट्रीय जनता दल के पास जानी है. ऐसे में राजद ने अवध बिहारी चौधरी का नाम स्पीकर के लिए तय कर रखा था. आज अवध बिहारी चौधरी स्पीकर पद के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया. अवध बिहारी चौधरी राजद के सबसे वरिष्ठ विधायक हैं. उनके पास लंबा विधायक अनुभव है और इसी लिहाज से उन्हें तेजस्वी यादव और लालू यादव ने स्पीकर की कुर्सी के लिए चुना है.

छह बार विधायक रह चुके हैं चौधरी

लालू यादव और उनके परिवार के बेहद करीबी माने जाने वाले अवध बिहारी चौधरी सीवान जिले से आते हैं. अवध बिहारी चौधरी 6 बार विधायक चुने जा चुके हैं. 76 साल के अवध बिहारी चौधरी कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. लालू यादव ने उन्हें अपनी पार्टी का संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बना रखा था और अब उनके ऊपर यह बड़ी जिम्मेदारी है.

कल दिया था विजय सिन्हा ने इस्तीफा

नीतीश कुमार की नयी सरकार ने बिहार विधानसभा में बुधवार को विश्वासमत हासिल कर किया. इसके ठीक पहले विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी से विजय कुमार सिन्हा ने इस्तीफा दे दिया. विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. विजय कुमार सिन्हा के इस्तीफे के बाद सदन का संचालन पहले नरेंद्र नारायण यादव ने संभाला और फिर बाद में डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी के आसन पर रहते हुए विश्वास मत के ऊपर चर्चा हुई और फिर मत विभाजन के जरिए सरकार ने इसे सदन में साबित भी कर दिया, लेकिन अब विधानसभा के अंदर नए अध्यक्ष का चुनाव होना है

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