Ayodhya me ram mandir ka bhumi pujan पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बुधवार को ट्वीट कर कहा है कि भारत की सनातन संस्कृति और भौगोलिक अखंडता में विश्वास रखने वाले करोड़ों देशवासियों के लिए 5 अगस्त चिरस्मरणीय रहेगा. आज जम्मू-कश्मीर में धारा-370 को निष्प्रभावी कर उसे शेष भारत के साथ व्यावहारिक रूप से आत्मसात करने की पहली वर्षगांठ है और 493 साल बाद अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के भव्य निर्माण के निमित्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भूमिपूजन संपन्न हुआ. आजादी के बाद से ही धर्मनिरपेक्षता के नाम पर वोट बैंक की राजनीति ने इन दोनों कार्यों को लगभग असंभव बना दिया था.
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि कश्मीर मुद्दे पर तत्कालीन जनसंघ के अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान और राम मंदिर के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता माननीय लालकृष्ण आडवानी का रथयात्रा-संघर्ष दो बड़े राजनीतिक संकल्पों की सिद्धि में नींव के पत्थर साबित हुए. इतिहास इनके योगदान को स्वर्णाक्षरों में अंकित करेगा.
सुशील मोदी ने कहा कि 16वीं सदी के आक्रांताओं ने देश के जिन अनेक मंदिरों-धर्मस्थलों को ध्वस्त कर भारत की संस्कृति-परम्परा और आस्था को नष्ट करने का प्रयास किया था, उनमें अयोध्या का राम मंदिर भी था. श्रीराम के जन्मस्थान पर उस मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए लाखों श्रद्धालुओं-सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्वहिंदू परिषद ने संतों के मार्गदर्शन में 30 साल तक संघर्ष किया. इसमें अनेक लोगों ने अपूर्व त्याग-बलिदान किये.
बिहार के डिप्टी सीएम ने कहा कि मंदिर आंदोलन में जहां अशोक सिंहल, महंत रामचंद्र दास, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह जैसे नेता सक्रिय रहे, वहीं 92 साल के वरिष्ठ वकील पारासरन और पुरातत्ववेत्ता केके मोहम्मद ने भी अद्भुत योगदान किया. मंदिर के भूमिपूजन के अवसर पर सबका कोटि-कोटि अभिनंदन.
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