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12 पर जीते सवर्ण, 20 सीटों पर पिछड़े-अतिपिछड़ों ने मारी बाजी

बिहार के लोकसभा चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों की जीत और हार में जातीय समीकरण ने भी बड़ी भूमिका निभाई है.

संवाददाता, पटना बिहार के लोकसभा चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों की जीत और हार में जातीय समीकरण ने भी बड़ी भूमिका निभाई है. मतदाताओं ने सभी तरह के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए अपनी जाति या अपनी जाति के समकक्ष लोगों को भी ध्यान में रखते हुए मतदान किया. इसमें एनडीए और इंडिया गठबंधन सहित निर्दलीय विजयी उम्मीदवारों में से सात यादव, छह राजपूत, तीन भूमिहार, दो ब्राह्मण, चार कुशवाहा, दो वैश्य, एक कायस्थ, एक कुर्मी, एक पिछड़ा, पांच अतिपिछड़ा, छह दलित और दाे मुसलमान शामिल हैं. एनडीए का गणित : इसमें भाजपा से चुनाव जीतने वाले तीन राजपूत, दो भूमिहार, दो यादव, एक वैश्य,एक ब्राह्मण,एक कायस्थ और दो अतिपिछड़ा समुदाय के उम्मीदवार शामिल हैं. वहीं, जदयू से चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों में दो कुशवाहा, एक कुर्मी, तीन अति पिछड़ा, दो यादव, एक दलित, एक राजपूत, एक ब्राह्मण और एक भूमिहार जाति से शामिल हैं. लोजपा (रा) की टिकट पर चुनाव जीतने वालों में तीन दलित, एक वैश्य और एक राजपूत उम्मीदवार शामिल हैं. इसके साथ ही हम (से) से दलित समुदाय से एक उम्मीदवार ने जीत हासिल की. इंडिया गठबंधन का गणित : चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों में राजद से दो यादव, एक राजपूत और कुशवाहा प्रत्याशी शामिल हैं. वहीं कांग्रेस से दो मुस्लिम प्रत्याशी और एक दलित जाति के उम्मीदवार ने चुनाव जीता. भाकपा माले से एक कुशवाहा और एक पिछड़ी जाति के उम्मीदवार ने चुनाव जीता. एक निर्दलीय उम्मीदवार : वहीं निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में एकमात्र यादव उम्मीदवार विजयी हुए.

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