बहुग्रामीण जलापूर्ति योजना,10 साल बाद भी अधूरी, 86 गांवों को इस गर्मी भी नहीं मिलेगा शुद्ध पेयजल

bahuvillage water supply scheme सबसे पहले हैदराबाद की आइवीआरसीएल को योजना पर काम करने के लिए बहाल किया. साढ़े 14 महीने तक काम चला, लेकिन विभागीय अधिकारियों को पता चला कि काम तो सिर्फ नौ फीसदी हो पाया है.

By RajeshKumar Ojha | February 9, 2025 10:47 PM
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ब्रजेश, भागलपुर
bahuvillage water supply scheme गंगा के पानी को ट्रीटमेंट कर आर्सेनिक प्रभावित 86 गांवों तक पहुंचाने की योजना की समय सीमा फेल हो गयी है. इस गर्मी भी लोगों की प्यास बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना के पानी से नहीं बुझ सकेगी. काम फाइनल करने के लिए मार्च 2025 तक का एक्सटेंशन मांगा गया था, तीन महीने बाद भी इसकी फाइल मुख्यालय में धूल फांक रही है.

लेटलतीफी के कारण सबसे ज्यादा नाथनगर प्रखंड के आर्सेनिक प्रभावित इलाकों के लोगों को दिक्कत हो रही है. सुलतानगंज में गंगा किनारे कुछ गांव में जलापूर्ति होनी है. बाकी जलापूर्ति नाथनगर प्रखंड की छह पंचायत के आर्सेनिक प्रभावित गांवों में होगी. पांच जलमीनार का निर्माण हुआ है. ये सभी जलमीनार नाथनगर प्रखंड के दोगच्छी, अजमेरीपुर, शाहपुर आदि में बने हैं.

यहां बता दें कि बीते एक दशक से सुलतानगंज से नाथनगर तक के लोग इस योजना पर काम होते देख रहे हैं. प्यास बुझाने लायक पानी अब तक उन्हें नहीं मिल सका है. पीएचईडी पश्चिमी डिवीजन ने पूर्व में दावा किया था कि जून 2024 तक योजना पूरी हो जायेगी और जलापूर्ति होने लगेगी.

सच्चाई यह है कि सिर्फ पंपिंग स्टेशन का काम 80 फीसदी तक करने में एक दशक लग गये हैं. अभी तो जेटी तैयार भी नहीं हुआ है. पाइपलाइन का काम भी बचा हुआ है. सुलतानगंज बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना साल 2012 में शुरू हुई थी. इसे हर हाल में 2015 तक पूरा करना था. योजना के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए मुख्यालय ने 56.54 लाख रुपये आवंटित किये गये है.

एजेंसी बदलने के बाद भी काम में तेजी नहीं

विभाग ने सबसे पहले हैदराबाद की आइवीआरसीएल को योजना पर काम करने के लिए बहाल किया. साढ़े 14 महीने तक काम चला, लेकिन विभागीय अधिकारियों को पता चला कि काम तो सिर्फ नौ फीसदी हो पाया है. आश्चर्य यह कि विभाग को लेटलतीफी की जानकारी होने में 14 महीने लग गये. एग्रीमेंट के मुताबिक समय पर काम पूरा नहीं करने की स्थिति में एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई हुई.

विभाग ने टेंडर रद्द कर एजेंसी को काली सूची में डाल दिया. काम ठप पड़ा रहा. वर्ष 2018 में री-टेंडर हुआ. कोलकाता की कंपनी मेसर्स रियान वाटर टेक प्राइवेट लिमिटेड को काम दिया गया. साथ ही तेजी से काम कराने के लिए विभाग ने और दो एजेंसी हाजीपुर की कंपनी मंगलम एग्रोकॉन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड एवं कटिहार के पवन चौबे को बहाल किया. वर्तमान में मेसर्स रियान वाटर टेक प्राइवेट काम कर रहा है, फिर भी काम में तेजी नहीं आयी है.

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