बिहार में बख्तियारपुर-ताजपुर फोरलेन पुल निर्माण कार्य होगा शुरू, जानिए कब से दौड़ेंगी गाड़ियां…
बिहार में बख्तियारपुर ताजपुर फोरलेन पुल निर्माण कार्य में अब और तेजी लाने का निर्देश दिया गया है. जानिए इसपर कब से गाड़ियां दौड़ने लगेगी.
Bihar Road Project: पटना में एनएच-31 के करजान- बख्तियारपुर से एचएच -28 पर समस्तीपुर के ताजपुर को जोड़ने वाली गंगा पर बन रही फोरलेन पुल-सह-पहुंच पथ के उत्तरी, मध्य व दक्षिणी भाग में निर्माण कार्य शुरू करने की कवायद तेज हो गयी है . यह ग्रीनफील्ड परियोजना है, जिसमें बिहार के दक्षिणी भाग को उत्तर भाग से जोड़ने के लिए गंगा नदी पर निर्माण किया जा रहा है. पिछले दिनों पथ निर्माण विभाग के सचिव संदीप कुमार आर पुडकलकट्टी और विशेष सचिव-सह-बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लि के प्रबंध निदेशक शीर्षत कपिल अशोक ने परियोजना स्थल का भ्रमण किया था. इस दौरान उनकी नाराजगी सामने आयी थी. अब इस फोरलेन के उत्तरी, मध्य और दक्षिणी हिस्सों का काम शुरू होने वाला है.
कबतक पूरा होगा प्रोजेक्ट?
पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों ने परियोजना के उत्तरी हिस्से में पुल के पिलर का कार्य प्रारंभ नहीं होने पर असंतोष व्यक्त किया था. साथ ही ठेकेदार को पिलर निर्माण जल्द प्रारंभ करने का निर्देश दिया था. परियोजना के महाप्रबंधक ब्रजसेन ने बताया कि गंगा नदी पर पुल का कार्य प्रारंभ किया जा चुका है. अब तक नौ पीयर कैप और 32 पिलर का कार्य हो चुका है. साथ ही चकलाल शाही से ताजपुर खंड में पहुंच पथ का निर्माण मार्च, 2025 तक और इस बहुप्रतीक्षित परियोजना को जून, 2026 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है. फोरलेन पुल-सह-पहुंच पथ के उत्तरी, मध्य व दक्षिणी भाग में निर्माण कार्य इस साल नवंबर में शुरू हो जाएगा.
बाधाओं की मार से जूझती रही परियोजना
बता दें कि बख्तियारपुर-ताजपुर फोरलेन का निर्माण कार्य वर्ष 2011 में ही शुरू हुआ था. 1602.74 करोड़ की लागत ये यह तैयार हो रहा था. अब इसकी अनुमानित लागत भी बढ़ गयी है. पीपीपी मॉडल के तहत शुरू हुई इस परियोजना को वर्ष 2016 में ही पूरा हो जाना था लेकिन अनेकों बाधाएं सामने आने के कारण अबतक इसका निर्माण अधूरा है. इस परियोजना का मामला हाईकोर्ट तक जा चुका है.
इस परियोजना का क्या होगा फायदा?
इस परियोजना के पूरा हो जाने से दक्षिण बिहार और उत्तर बिहार की दूरी 60 किलोमीटर कम हो जाएगी. इस पुल के तैयार होने पर मुंगेर, नवादा, नालंदा की ओर से आने वाली गाड़ियों को उत्तर बिहार के जिलों में जाने के लिए पटना आने की जरूरत नहीं होगी. दक्षिण बिहार और उत्तर बिहार की दूरी 60 किलोमीटर घटेगी और जेपी सेतु, महात्मा गांधी सेतु व राजेंद्र सेतु पर से गाड़ियों का दवाब भी कमेगा.