अनिकेत त्रिवेदी, पटना जिला प्रशासन और पुलिस की लगातार कार्रवाई के बावजूद गंगा नदी में अवैध बालू खनन जारी है. अब तो बालू माफियाओं ने मशीन के जरिये नदी की ‘कोख’ से तेजी से बालू खींच ले रहे हैं.
स्थिति ऐसी है कि जेपी सेतु के नीचे गंगा नदी में नाव पर मोटर लगाकर सक्शन मशीन की तरह गंगा से बालू का अवैध खनन किया जा रहा है. मशीन से पानी के साथ बालू को खींचा जाता है, जिससे 30 मिनट में ही पूरी नाव बालू से भर जाती है. इससे न केवल सरकार को राजस्व की हानि हो रही है, बल्कि पूरे पारिस्थितिक तंत्र पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है.
मोटर के उपयोग के बाद अवैध बालू खनन की पूरी गणित बदल गयी है. पहले एक नाव पर 10 से अधिक आदमी बाल्टी और देसी तकनीक से बालू की लोडिंग करते थे. एक नाव को भरने में कई घंटे लगते थे. लेकिन, अब नयी जुगाड़ से मैनपॉवर और समय दोनों की बचत हो रही है. जानकारों की मानें तो एक नाव पर करीब तीन ट्रैक्टर टॉली के बराबर बालू लोड किया जाता था. अब एक नाव नदी के बीच में मोटर के साथ खड़ी रहती है. इस नाव पर पांच से छह आदमी रहते है. यह मशीन आधा घंटे से 40 मिनट तक में एक नाव को बालू से लोड कर देती है.
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नदी में जरूरत से ज्यादा बालू खनन पर्यावरण को खतरे में डाल देता है. खासकर गंगा में हो रहे अवैध बालू खनन से बालू का बहाव व उसके जमा होने का क्षेत्र बदल जाता है. गंगा के पटना से दूर होने की एक वजह यह भी है. इससे गंगा की धार बदल जाती है. अत्याधिक बालू खनन से गंगा की पानी साफ करने की क्षमता भी घटती है. प्रदूषण स्थायी हो जाता है. मगर और डॉल्फिन के रहवास पर असर पड़ा है.
गंगा नदी में बालू के अवैध खनन करने वालों पर प्रशासन कड़ी कार्रवाई करेगा. किसी भी तरह से अगर अवैध खनन हो रहा है, तो इसे रोका जायेगा. मामले की जांच करवायी जायेगी और दोषियों को बख्शा नहीं जायेगा.
-डॉ चंद्रशेखर सिंह, डीएम, पटना