बिहार ग्रामीण बैंक कर्मी व ऑफिसर फेडरेशन के सदस्य एआइबीइए, एआइबीओए, एआइजीबीइए व एआइजीबीओए के आह्वान पर उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक क्षेत्रीय कार्यालय ने धरना-प्रदर्शन किया. बिहार में दो दिवसीय बैंक हड़ताल को लेकर करोड़ों का नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है. बैंक कर्मी विभिन्न मांगों को लेकर सोमवार से दो दिन का घोषित हड़ताल को लेकर बैंक कर्मी ठप रखा. बैंक बंद होने के कारण उपभोक्ताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. कुछ बैंक मार्च क्लोजिंग को लेकर कई बैंक का डोर पर ताला लटका कर अंदर में ऑफिशियल कार्य करते दिखायी दिया.
उपभोक्ता गेट पर खड़ा होकर पैसा निकासी एवं पैसे भेजने की बात कह रहे थे. लेकिन बैंक कर्मियों ने उन्हें बैंक हड़ताल रहने के कारण किसी प्रकार के लेनदेन से मना करते रहे. वहीं उपभोक्ताओं के लाख गिड़गिड़ाने के बाद भी बैंक कर्मी उन्हें बैंक में प्रवेश करने से रोकने रोकते रहे. मंगलवार तक बैंक हड़ताल पर रहने की बात कही गयी. बुधवार को बैंक खुलने की बात बतायी गयी. एलडीएम उज्जवल कुमार जसवाल ने बताया कि सोमवार एवं मंगलवार को बैंक बंद होने के कारण जिले के बैंकों का 60 से 70 करोड़ का घाटा सहना पड़ा. बैंक कर्मियों ने बताया कि बैंक के निजीकरण करने के खिलाफ बैंक कर्मी हड़ताल पर गये है. शनिवार रविवार एवं सोमवार, मंगलवार को बैंक के बंद रहने के कारण उपभोक्ताओं को परेशानी का काफी सामना करना पड़ रहा है.
28 व 29 मार्च को विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने दो दिन की हड़ताल का आह्वान पर आज सभी बैंक बंद रहा. इससे पहले शनिवार और रविवार को भी बैंक बंद रहा. दो दिनों के हड़ताल से व्यापारियों का कारोबार चरमरा गया है. जिससे व्यापारी वर्ग की परेशानी बढ़ गयी है. बैंकों के चार दिनों की बंदी ने विभिन्न बाजारों में कारोबारियों की हालत बदतर कर दी है. इसको लेकर बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है. मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों से छोटे व्यापारी खरीदारी को शहर नहीं आ रहे हैं. बााजार पूरी तरह से मंदा दिख रहा है. सोमवार को नगदी की किल्लत रहने से शहर के अलावा अन्य बाजारों में भी ग्राहकों की कमी देखी गयी. शहर के कई एटीएम बंद दिखे.