ग्रुप लोन के जाल में जब फंसती हैं बिहार की महिलाएं, परिवार के आगे आत्महत्या की आ जाती है नौबत

Bihar News: बिहार में ग्रुप लोन का जाल इस कदर अब बिछने लगा है कि उसमें फंसकर पूरा परिवार तबाह हो रहा है. कोई घर मकान छोड़कर भाग रहा है तो कहीं पूरा परिवार आत्महत्या करने लगा है.

By ThakurShaktilochan Sandilya | November 17, 2024 11:25 AM
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Bihar News: बिहार के बांका में नॉनबैंकिंग ग्रुप लोन के कर्ज से परेशान एक परिवार तबाह हो गया. परिवार के पांच लोगों ने जहर खा लिया. पति-पत्नी और एक बेटे की मौत हो गयी जबकि दो बच्चों का इलाज अस्पताल में चल रहा है. अमरपुर थाना क्षेत्र के बलुआ गांव की यह घटना है. जहां ग्रुप लोन चुकाने में असमर्थ परिवार पर जब लोन की रकम वापस करने का दबाव बढ़ता गया तो हारकर उसने अपने बच्चों को रसगुल्ला में जहर मिलाकर खिला दिया और खुद भी सल्फास की गोली खा ली. पांच लोगों में तीन लोगों की मौत से कोहराम मचा है. वहीं अब ग्रामीणों ने बताया है कि ग्रुप लोन का यह कई और लोगों की जिंदगी तबाह कर सकता है. नॉनबैंकिंग ग्रुप लोन के कर्ज से ग्रामीण तबाह हैं.

ग्रुप लोन का जाल, जिसमें घिरती हैं महिलाएं

अमरपुर थाना क्षेत्र में विभिन्न नॉनबैंकिंग संस्था के द्वारा ग्रामीण महिलाओं के बीच ग्रुप बनाकर लोन देने की प्रक्रिया वर्षों से जारी है. ग्रुप से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इन बैंकों का ऋण ग्रामीण महिलाओं को उनकी आवश्यकता के अनुसार महंगे ब्याज पर दी जाती है. इन बैंकों के कई एजेंट विभिन्न गांवों में सक्रिय हैं. जो ऋण देने व उनकी अदायगी के लिए ग्रुप के ही किसी एक सदस्य को हेड के रुप में चयनित करता है. उसी की देखरेख में कंपनी के एजेंट द्वारा बिना कोई सरकारी नियमों का पालन करते हुए लोन देकर उनका सप्ताहिक वसूली करता है. लोन की वसूली में एजेंट का रुख बहुत ही कठोर रहता है. समय पर लोन का पैसा नहीं देने पर लोन लेने वाले सदस्यों पर दबाव बनाकर पैसे की वसूली वो करते हैं. अगर लोन का पैसा नहीं दिया तो उस ग्रुप के अन्य महिला व पुरुष सदस्यों से लोन की वसूली करते हैं.

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एजेंट से दिलवाते हैं धमकी, वसूली के लिए घर पर चढ़ते हैं गुंडे

बताया जा रहा है कि भोले-भाले व कम पढ़ी-लिखी ग्रामीण महिलाएं इन बैंकों के चक्कर में आसानी से आ जाती हैं, जिसके बाद नॉन बैंकिंग संस्था के द्वारा अपने नियमानुसार लोन की वसूली की जाती है. नॉनबैंकिंग लोन की शिकार बनी ग्रामीण महिला बताती हैं कि क्षेत्र के कई परिवार ग्रुप लोन चुकाने में असमर्थ हो जाने के बाद अपना घर परिवार छोड़कर बाहर भाग गये हैं. इसके बावजूद भी बैंक के एजेंट उस ग्रुप के अन्य सदस्यों पर लोन चुकता करने के लिए दबाव बनाते हैं. ऐसे में एजेंट किसी भी वक्त घर पर आकर धमकी भी देते हैं.

ग्रुप के मुख्य सदस्य की मिलीभगत से होता है बड़ा खेल

बैंक के एजेंट लोन लेने वालों के बैंक पासबुक, आधार कार्ड व अन्य आवश्यक कागजात अपने पास रखते हैं. लेकिन यह एजेंट ग्रुप के मुख्य सदस्य की मिलीभगत से ग्रुप के सदस्यों के लोन की राशि दूसरे ग्रुप के सदस्यों को दे देते हैं. जिस बात की जानकारी उस सदस्य को नहीं रहती है. यानि बैंक एजेंट व मुख्य सदस्य की मिलीभगत से ग्रुप के किसी सदस्य का लोन दूसरा सदस्य अपने निजी कार्य में उपयोग कर लेता है. जिसकी भरपाई नामित सदस्य को करनी होती है.

पूरे परिवार ने खा ली जहर, तीन लोगों की हुई मौत

इसी कड़ी में बलुआ गांव के मृतक दंपत्ति इसके चपेट आ गये. लाख प्रयास के बावजूद भी दंपत्ति कर्ज चुकाने में विफल रहे और अंतत: अपनी जान दे दी. जानकारों की माने तो यह घटना आगे भी किसी गांव घट सकती है. पूरे मामले में बीडीओ प्रतीक राज ने बताया है कि नॉन-बैंकिंग कंपनी के लाइसेंस व उनके अन्य कागजातों की जांच की जायेगी. लोन देने की प्रक्रिया की भी जानकारी ली जायेगी. मामले में दोषी पाये जाने वाले नॉन-बैंकिंग कंपनी पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.

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