बिहार में बैंकों ने क्रेडिट कार्ड की लिमिट घटाना किया शुरू
लॉकडाउन के दौर में कई बैंकों ने ग्राहकों की क्रेडिट कार्ड की लिमिट घटाने का एसएमएस व इ-मेल भेजना शुरू कर दिया है. इससे लाॅकडाउन में उन ग्राहकों की परेशानी बढ़ गयी है. बैंकों से मिली जानकारी के अनुसार सूबे में डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों के पास बैंकों के क्रेडिट कार्ड हैं.
पटना : लॉकडाउन के दौर में कई बैंकों ने ग्राहकों की क्रेडिट कार्ड की लिमिट घटाने का एसएमएस व इ-मेल भेजना शुरू कर दिया है. इससे लाॅकडाउन में उन ग्राहकों की परेशानी बढ़ गयी है. बैंकों से मिली जानकारी के अनुसार सूबे में डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों के पास बैंकों के क्रेडिट कार्ड हैं. इनमें अकेले पटना में विभिन्न बैंकों ने लगभग पांच लाख से अधिक क्रेडिट कार्ड जारी किये हैं. इनमें मध्यम, उच्च मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग के लोग शामिल हैं.
बैंक अधिकारियों की मानें, तो उच्च वर्ग के हर व्यक्ति के पास क्रेडिट कार्ड है, जबकि मध्यम व उच्च मध्यम वर्ग के लगभग 30 फीसदी लोगों के पास क्रेडिट कार्ड है. क्रेडिट कार्ड लिमिट कम होने का सबसे अधिक असर प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों पर पड़ेगा. ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव डीएन त्रिवेदी ने बताया कि जिन ग्राहकों के अपने लोन की इएमआइ को न लेने के लिए बैंकों के पास आग्रह किया था, उनके कार्ड की लिमिट को कम किया जा रहा है.
आमतौर पर बैंक हमेशा कार्डधारक की भुगतान और खर्च की स्थिति का मूल्यांकन करते रहते हैं. ऐसे में बैंक कभी भी क्रेडिट कार्ड की लिमिट को घटा या बढ़ा सकते हैं.लोन डिफॉल्टर्स से होता है नुकसानस्टेट बैंक के पूर्व मुख्य प्रबंधक वासुदेव प्रसाद ने बताया कि बैंक के एनपीए का आधा से अधिक भाग क्रेडिट कार्ड के बिल को न चुकाने वाले ग्राहकों के पोर्टफोलियो से हो रहे नुकसान से भी होता है.
इसके कारण बैंकों के एनपीए बढ़ने लगते हैं. बैंक को आखिरकार लोन डिफॉल्टर्स की वजह से भारी नुकसान झेलना पड़ता है. उनके अनुसार कार्ड से कैश निकालने के बढ़ते चलन को कम करने के लिए बैंकों की ओर से क्रेडिट लिमिट कम की गयी है. अग्रणी बैंक के मुख्य प्रबंधक अवधेश आनंद ने बताया कि क्रेडिट कार्ड से लोन लेना आपकी जेब पर काफी भारी पड़ सकता है. इसलिए क्रेडिट कार्ड से पैसे निकालने से पहले कुछ जरूरी बातों को जानना आपके लिए जरूरी है. क्रेडिट कार्ड से कैश निकालते हैं, तो इसके लिए अधिकतम चार फीसदी तक का मासिक ब्याज वसूला जायेगा. इससे वार्षिक ब्याज दर होगी 48 फीसदी. अलग-अलग बैंक में यह ब्याज दर अलग होती है.