कर्नाटक में फंसे बिहार के मजदूरों की मदद कर रहे हैं बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर, हर दिन गरीबों को भेज रहे राशन किट

लॉकडाउन में फंसे कर्नाटक खास कर बेंगलुरु में रहने वाले हजारों बिहार-झारखंड के प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर सीमांत सिंह आगे आये हैं.

By Rajat Kumar | April 26, 2020 9:05 AM

अनिकेत त्रिवेदी की रिपोर्ट

पटना : लॉकडाउन में फंसे कर्नाटक खास कर बेंगलुरु में रहने वाले हजारों बिहार-झारखंड के प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर सीमांत सिंह आगे आये हैं. बीते एक माह में उन्होंने अब तक बेंगलुरु व आसपास रहने वाले 40 हजार से अधिक बिहार व झारखंड के प्रवासी मजदूरों के घर राशन पहुंचवा दिया है. उनके निर्देशन में पुलिस लॉ-एंड-ऑर्डर के साथ घरों तक राशन पहुंचाने का भी काम कर रही है, लेकिन मदद की बढ़ती जरूरतों के कारण अब मदद करने वाले को भी सहयोग की जरूरत है. इसके लिए उन्होंने दो नंबर कविलाश- 7903600524 और पवन कुमार- 8580367791 जारी किया गया है. प्रवासी मजदूर या अन्य लोग मदद मांगने, वहीं समर्थ लोग मदद करने के लिए इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.

400 लोगों की मदद से शुरू हुआ था सिलसिला

कर्नाटक कैडर के वरीय आइपीएस अधिकारी व बिहार के बांका जिले के शंभूगंज के मूल निवासी सीमांत सिंह बताते हैं कि 20 मार्च को उनके पास एक फोन आया था कि बेंगलुरु में एक पार्ट में लगभग 400 प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं. उनको अपने स्तर से राहत पहुंचायी गयी. इसके बाद उनका व्यक्तिगत नंबर चारों तरफ फैल गया. लोग उनके नाम, पोस्ट से अनभिज्ञ एक सरकारी सेवा का नंबर समझ कर मदद के लिए फोन करने लगे. इसके बाद उन्होंने अपने स्तर से मदद करना शुरू किया. लोग फोन कर आदमी की संख्या व पता बताते और हमलोग राशन किट बनवा कर थानावार लोगों पुलिस के सहारे पहुंचाते. जब राशन किट का भार बढ़ा तो इस्कॉन आदि सामाजिक संस्थाओं के इसमें जोड़ा गया. अन्य मदद करने वाले लोग भी आ रहे हैं.

एक किट में 15 से 20 दिन का राशन

उनके द्वारा तैयार कराये गये राशन के एक किट में 15 से 20 दिन का राशन रहता है. उन्होंने बताया कि बेंगलुरु व आसपास क्षेत्रों से लगभग 50-60 परिवार बिहार व झारखंड और यूपी व बंगाल को जोड़ दिया जाये, तो लगभग एक लाख परिवार यहां बतौर प्रवासी मजदूर रहते हैं. उन्होंने बताया कि नंबर फैलने के बाद प्रतिदिन चार सौ से अधिक फोन आने लगे. इसलिए इस मुहिम में आइटी के साथ ग्रुप बनाया गया. अधिक जरूरी होने पर घर जाने के लिए पास बनवाने की मदद भी की गयी है. अब तो बिहार से भी लोग फोन कर राशन या अन्य कोई मदद मांग रहे हैं.

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