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ठाकुरबाड़ी में सप्तमी से नवमी तक भोग प्रसाद का होता है वितरण

Patna News : आजादी से पहले 1903 में सचिवालय में काम करनेवाले लोगों ने ठाकुरबाड़ी का निर्माण कराया था. 121 साल से गर्दनीबाग में दुर्गापूजा हो रही है.

संवाददाता, पटना आजादी से पहले 1903 में सचिवालय में काम करनेवाले लोगों ने ठाकुरबाड़ी का निर्माण कराया था. 121 साल से गर्दनीबाग में दुर्गापूजा हो रही है. हर साल शारदीय नवरात्र में यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है. पटना के अलग-अलग हिस्से में रहने वाले लोग यहां आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं. कई लोगों के परिवार जो गर्दनीबाग छोड़ चुके हैं, वे भी शारदीय नवरात्र में अपने परिवार समेत जरूर आते हैं. गर्दनीबाग ठाकुरबाड़ी के बारे में समिति के अध्यक्ष व पूर्व विधान पार्षद प्रो रणबीर नंदन ने बताया कि गर्दनीबाग ठाकुरबाड़ी में पूरे विधि विधान से यहां पूजा होती है. मुहूर्त का खास ख्याल रखा जाता है. गर्दनीबाग ठाकुरबाड़ी की खासियत वह भी है कि नवरात्र में पूरे नौ दिनों तक गायत्री परिवार से जुड़े करीब 400 साधक महिला-पुरुष साधना करते हैं. साधना सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक चलती है. प्रो नंदन ने बताया कि पहले मिट्टी की माता की प्रतिमा बनाकर शारदीय नवरात्र में पूजा होती थी. बाद में स्व श्यामनंदन प्रसाद, जब अध्यक्ष थे, वासंतिक नवरात्र भी मनाया जाने लगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 20 वर्षों से दर्शन करने के लिए आते हैं यहां पहले राम दरबार, ठाकुर जी, मां काली का विग्रह, फिर हनुमान जी स्थापित हुए. 1944 में चित्रगुप्त भगवान स्थापित हुए. 1997 में मां दुर्गा की स्थायी प्रतिमा स्थापित हुई. फिर पंचमुखी हनुमान जी. यहां सीएम नीतीश कुमार बीस वर्षों से दर्शन-पूजन करने आते हैं. सप्तमी के दिन भोग प्रसाद में चावल-दाल प्रो नंदन ने बताया कि सच्चे मन से माता की आराधना करने वाले भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. दुर्गापूजा के दौरान यहां मेला का माहौल रहता है. यहां माता का प्रसाद खाने दूर दूर से लोग आते हैं. सप्तमी के दिन भोग प्रसाद में चावल-दाल, सब्जी, अष्टमी को खिचड़ी और नवमी को पूर्ण कच्ची भोग प्रसाद का वितरण होता है. साथ ही विजयादशमी के दिन दरिद्रनारायण भोज का भी आयोजन होता है.

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