Bhojpuri News भोजपुरी गानों और लोकगीतों का क्रेज लोगों के बीच बढ़ता जा रहा है. यूपी-बिहार सहित कई देशों में भोजपुरी गीतों को लोग खूब पसंद करते हैं. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोई भी फंक्शन भोजपुरी गानों के बिना पूरा नहीं होता. लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव भोजपुरी की मिठास और साफ सुथरे गीत के जरिए बुलंदियों पर पहुंचना चाहती हैं. हाल हर में उन्होंने सावन में भगवान शिव को समर्पित आदि शंकराचार्य द्वारा लिखित ‘लिङ्गाष्टकम् स्तोत्र’ को अपनी आवाज में गाया है. प्रभात खबर के दफ्तर पहुंची मनीषा श्रीवास्तव ने अपने करियर से लेकर सिंगर बनने तक की कहानी साझा की. पढ़िए मनीषा श्रीवास्तव की हिमांशु देव से हुई बातचीत के अंश…
Q. आपने अपनी गायकी की शुरुआत कैसे की?
– मेरे घर में लोक संगीत का माहौल रहा है. शादी-विवाह हो या फिर कोई पर्व-त्योहार. हर फंक्शन में लोकगीत गाये जाते हैं. सावन में भी हमलोग झूला लगाकर कजरी गाते रहे हैं. हालांकि, जब मैं 6वीं कक्षा में थी, तब मेरे दादाजी ने संगीत सिखाने का निर्णय लिया था. जिसके बाद साल 2007 से ही मैं लोकगीत गाने लगी. मेरा करियर बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट भोजपुरी लोकगीतों से ही शुरू हुआ है.
Q. आपका कोई ऐसा एलबम या गीत जिसने आपको एक खास पहचान दी हो?
– बटोहिया, विदेशी या पूर्वी 12 मास, चैता, होली, कजरी, सोहर, झूमर, विवाह गीत, संस्कार गीतों समेत अन्य कई गीतों का एल्बम आ चुका है. इसे श्रोताओं ने खूब सराहा भी है. लेकिन, हाल ही में कृषि विभाग के सहयोग से बुद्धिनाथ मिश्रा द्वारा लिखित ‘कोदो, सावां, कंगनी, कुटकी, ज्वार-बाजरा श्रीधान्यम्, रहना है निरोग अगर तो खाओ अपना श्रीधान्यम्…’ मिलेट्स गीत गाया है. यह मेरे लिए खास है. लोगों को यह काफी पसंद आ रहा है.
Q. आपका बचपन कैसा रहा है? परिवार के लोगों का इस क्षेत्र में कितना समर्थन मिला?
– मैं मूल रूप से रोहतास की रहने वाली हूं. यही वजह है कि अभी भी अपनी संस्कृति को प्रमुखता दे रही हूं. जबकि, मेरे चाचा शिक्षा को लेकर अधिक अग्रसर थे. यही वजह है कि मैंने इंजीनियरिंग भी की. लेकिन, पहली पसंद गायिका बनना था. इसलिए, प्रयागराज स्थित प्रयाग संगीत समिति से मैंने संगीत की शिक्षा लेकर इस ओर काम कर रही हूं.
Q. भोजपुरी लोकगीतों के गायकों की क्या स्थिति है?
– बिहार में लोकगीत की स्थिति काफी दयनीय है. भोजपुरी के गिने-चुने कलाकार हैं, जो अपनी संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं. उन्हें बड़ा मंच भी नहीं मिलता है. इसलिए मैं स्वतंत्र होकर काम कर रही हूं. मैं खुद 2016 से सोशल मीडिया से जुड़ी और गीतों को शेयर करना शुरू किया. फेसबुक पर करीब 40 लाख लोग मेरे परिवार बने. इसी तरह अन्य प्लेटफॉर्म पर भी हूं.
5. किसी कंपनी के लिए आप बहुत कम गाती हैं, कोई वजह?
– कंपनी के लोगों को हमेशा कुछ तड़कता-भड़कता कंटेंट चाहिए. वहां, लोग आपके कपड़े को भी खुद से तय करते हैं. एक संतोषी मां फिल्म में ही गाने को कहा गया था. लेकिन, उस गीत में हमारी बेटियों को टारगेट किया गया था. जब मैंने करियर की शुरुआत की थी, तब भी कंपनी ने लोकगीत के कैसेट को रिलीज करने से मना कर दिया था.
6. अपने अपकमिंग प्रोजेक्ट्स के बारे में कुछ बताएं
– अभी कृषि विभाग के लिए ही कई गीत रिकॉर्ड किये गये हैं. जिसे बहुत जल्द रिलीज किया जायेगा. इसके साथ ही विवाह में होने वाले सभी रस्मों पर आधारित गीत आ रही हैं. इसमें तीन मेरे यूट्यूब चैनल पर रिलीज कर दिया गया है. इसके अलावे कुछ गजल संग्रह पर भी काम चल रहा है.