Bhumi Survey: ऑनलाइन जमाबंदी में हुई है गलती? अब टेंशन छू मंतर! विभाग आपके गांव में लगाएगा कैंप

Bhumi Survey: बिहार में भूमि सर्वे के दौरान कई तरह के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं. अगर ऑनलाइन जमाबंदी में कोई अशुद्धि हुई है, तो अब रैयतों को परेशान होने की जरूरत नहीं है. विभाग ने खुद इसका उपाय निकाल लिया है. विभाग आपके गांव में कैंप लगाकर इस परेशानी को दूर करेगा. पढे़ं पूरी खबर…

By Aniket Kumar | April 21, 2025 12:48 PM

Bhumi Survey: बिहार में भूमि सर्वे का काम जारी है. आए दिन रैयतों की सुविधा को देखते हुए विभाग कई निर्देश जारी करता है. हालांकि, इसके बावजूद भी रैयतों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. राज्य में डिजिटलाइजेशन के दौरान जमाबंदियों में की अशुद्धियों से लाखों रैयत परेशान हैं. अब उनके लिए राहत भरी खबर सामने आई है. जमाबंदी में हुई अशुद्धियों को दूर करने के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. विभाग ने बताया कि रैयतों की परेशानी को दूर करने के लिए अब जगह-जगह विशेष कैंप लगाकर इन जमाबंदियों से अशुद्धियों को दूर किया जाएगा. रजिस्टर-टू से मिलान कर जमाबंदी को सही किया जाएगा. बीते दिनों मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने अधिकारियों के साथ बैठक की. इसी मीटिंग में यह फैसला लिया गया है. इसके बाद ही प्रदेश के सभी समाहर्ताओं को इसके बारे में निर्देश जारी किया गया है.

ऑनलाइन जमाबंदी में अशुद्धियां

बता दें, भूमि सर्वे के काम में रैयतों को स्वघोषणा में अपनी जमीन का ब्योरा देना है. इसके साथ ही सभी डॉक्यूमेंट्स अपडेट रखने हैं. ऑनलाइन जमाबंदी में बड़ी संख्या में अशुद्धियां सामने आई हैं, जिनमें रैयतों के नाम से लेकर, रकबा, खाता, खेसरा आदी में गड़बड़ी शामिल हैं. इसके लिए परिमार्जन एप पर सुविधा दी गई है, लेकिन, इससे आम लोगों को पूरी तरह राहत नहीं मिली. इस वजह से विभाग ने यह फैसला लिया है.

भूमि सर्वे से जमीन की पारदर्शिता बढ़ी

बिहार में भूमि सर्वेक्षण एक ऐतिहासिक पहल साबित हो रही है, जिससे राज्य में जमीन से जुड़े वर्षों पुराने विवादों को सुलझाने में मदद मिल रही है. इस सर्वेक्षण के जरिए प्रत्येक प्लॉट की सटीक सीमाएं, स्वामित्व और उपयोग की जानकारी दर्ज की जा रही है, जिससे जमीन की पारदर्शिता बढ़ी है. पहले जहां छोटी-छोटी जमीनों को लेकर सालों तक कोर्ट-कचहरी का चक्कर चलता था, अब डिजिटल रिकॉर्ड और नक्शे के माध्यम से साफ-साफ पता चल जाता है कि जमीन किसकी है और कितनी है. इससे ग्रामीणों में भी भरोसा बढ़ा है कि उनकी जमीन सुरक्षित है.

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