बिहार में बिजली दरों की बढ़ोतरी पर 11 अक्तूबर को होगा फैसला, BIA चैंबर ने पुनर्विचार याचिका का किया विरोध
बिहार विद्युत विनियामक आयोग के चेयरमैन शिशिर सिन्हा और सदस्य एससी चौरसिया की बेंच द्वारा कहा गया कि आयोग के निर्णय में और भी कुछ खामियां हैं. इसको देखते हुए उनके द्वारा फाइल किये गये 10 फीसदी बिजली दर में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया जाये.
बिहार में बिजली दरों के संशोधन को लेकर अब 11 अक्तूबर को अंतिम सुनवाई होगी. मंगलवार को इससे जुड़ी बिजली कंपनियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार विद्युत विनियामक आयोग के चेयरमैन शिशिर सिन्हा और सदस्य एससी चौरसिया की बेंच ने यह निर्णय दिया. इस मौके पर साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी और नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के वरिष्ठ अभियंताओं के साथ ही बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन से संजय भरतिया और चैंबर ऑफ कॉमर्स से सुभाष पटवारी भी मौजूद रहे.
कंपनी का गलती का बोझ उपभोक्ताओं पर न डालें
सुनवाई में सबसे पहले बिजली कंपनी के अधिकारियों ने अपनी याचिका के पक्ष में बेंच के समक्ष प्रेजेंटेशन दिया. इसमें उन्होंने घोषित बिजली दर में आयोग के द्वारा आकलित 15 फीसदी टीएंडी लॉस (ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन हानि) की जगह 30 फीसदी टीएंडडी लॉस के आधार पर बिजली दर निर्धारित किये जाने की मांग रखी.
गठित बेंच द्वारा कहा गया कि आयोग के निर्णय में और भी कुछ खामियां हैं. इसको देखते हुए उनके द्वारा फाइल किये गये 10 फीसदी बिजली दर में बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया जाये. बीआइए और चैंबर के प्रतिनिधियों ने इसका विरोध करते हुए साफ कहा कि बिजली का नुकसान कंपनियों की गलती से हो रहा है. इसका भार किसी भी हाल में उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाना चाहिए. बिजली कंपनी की पुनर्विचार याचिका को मंजूर नहीं किया जाना चाहिए.
Also Read: डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अमित शाह पर कसा तंज, कहा- टिकटों की व्यवस्था करें, पैसा में दे दूंगा
11 अक्तूबर को अंतिम सुनवाई
दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने 11 अक्तूबर को अंतिम सुनवाई की तारीख तय की. चूंकि 15 नवंबर तक अगले वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए टैरिफ पिटीशन फाइल होना है. इसको देखते हुए 11 अक्तूबर को या 15 नवंबर से पहले कभी भी इस पुनर्विचार याचिका पर आयोग अपना फैसला सुना सकती है.
मालूम हो कि बिजली कंपनियों ने विनियामक आयोग द्वारा मार्च 2022 में सुनाये गये बिजली दर पर आपत्ति जताते हुए पुनर्विचार याचिका दाखिल की. इसमें बिजली दर में 10 फीसदी बढ़ोतरी के उनके प्रस्ताव पर फिर से विचार करने की मांग की गयी थी.