पटना हाइकोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि ANM (Auxiliary Nurse and Midwife, सहायक नर्स प्रसूति विद्या) के रिक्त पड़े 10,709 पदों पर भर्ती उसी सेवा शर्त नियमावली के तहत होगी, जो इन रिक्तियों के विज्ञापन प्रकाशित करते समय लागू थी. न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की एकलपीठ ने अर्चना कुमारी सहित 48 रिट याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं को मंजूर करते हुए शुक्रवार को यह फैसला सुनाया.
अंकों के आधार पर होगी नियुक्ति
कोर्ट के इस आदेश से हजारों की तादाद में उन नर्सिंग अभ्यर्थियों को राहत मिली है, जिनकी चयन प्रक्रिया लगभग पूरी होने के समय राज्य सरकार द्वारा 29 सितंबर 2023 को लागू हुई नयी सेवा शर्त नियमावली के तहत एएनएम के चयन के लिए बदले हुए प्रावधानों को लागू कर दिया गया था. अब इनकी नियुक्ति अंकों के आधार पर की जायेगी.
याचिकाकर्ता ने क्या दी दलील?
याचिकाकर्ताओं के वकील अभिनव श्रीवास्तव ने दलील दी थी कि उक्त रिक्तियों का विज्ञापन 28 जुलाई 2022 को प्रकाशित किया गया था, जिसमें स्पष्ट तौर पर अंकित था कि चयन के लिए बिहार महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता ( एएनएम) नियमावली 2018 की शर्ते लागू होगी.
उक्त नियमावली के तहत 100 अंकों की प्रतियोगिता में 60% अधिभारित अंक एएनएम की पढ़ाई के प्राप्तांक से होगी. शेष अंक प्रैक्टिकल और उच्च शिक्षा पर आधारित मिलनी थी. सभी याचिकाकर्ताओं ने चयन प्रक्रिया में भाग लिया और उपरोक्त 60% अंक के आधार पर मेरिट अंक सभी अभ्यर्थियों का चयन करने वाली आयोग द्वारा वेबसाइट पर अपलोड भी हो चुका था.
विगत 29 सितंबर को स्वस्थ महकमे से एक चिट्ठी जारी कर सूचित किया गया की उपरोक्त 60 फीसदी अंक को अब प्रतियोगिता परीक्षा के जरिए अर्जित करना होगा, जिसके लिए प्रतियोगिता परीक्षा ली जायेगी. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ द्वारा दिये गये निर्णय को दिखाते हुए कहा गया की खेल के बीच में खेल के नियम नहीं बदले जाते. यह न सिर्फ मनमानापन है बल्कि संविधान के खिलाफ है. हाइकोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से दी गई दलील को मंजूर करते हुए यह आदेश दिया.
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