बिहार के किसान बड़े पैमाने पर धान की खेती करते हैं. लेकिन अब यहां किसान धान की परंपरागत किस्मों के साथ साथ अब सुगंधित धान की किस्मों की तरफ भी तेजी से आकर्षित हो रहे हैं. यही कारण है की अब यहां के चावल की खुशबू विदेशों में भी पहुँच रही है. इन चावलों का स्वाद अलग होने के कारण इसकी मांग हर तरफ से हो रही है चाहे वो देश का कोई बड़ा शहर हो या विदेश. अब धान के नई किस्मों की खेती कर राज्य के किसान एक नई कहानी लिख रहे हैं.
बिहार राज्य बीज निगम के अनुसार राज्य में मगध क्षेत्र के किसान कस्तूरी एवं बासमती चावल की खेती खूब कर रहे हैं. इस उन्नत किस्म के धान का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 30 क्विंटल के आसपास होता है. और मगध क्षेत्र के किसान तकरीबन 10 हजार हेक्टेयर में इस उन्नत किस्म के धान की खेती कर रहे हैं. बाजार में इसकी कीमत 100 रुपए से 150 तक होती है.
वहीं कैमूर और रोहतास के किसान मुख्य रूप से सोनचूर धान की खेती कर रहे हैं. इस उन्नत किस्म के धान का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल के आसपास होता है. इसकी खेती भी इस क्षेत्र में तकरीबन 20 हजार हेक्टेयर में की जा रही हैं.
वहीं चंपारण के किसान मिरचइया किस्म के धान की अच्छी पैदावार कर रहे हैं. फिलहाल इस धान का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल के आसपास होता है. इसकी खेती भी अभी इस क्षेत्र में तकरीबन 2 हजार हेक्टेयर में की जा रही हैं.
पटना के बाजार में बासमती चावल की मांग तेजी से बढ़ गई है. कुछ किसानों का कहना है की उन्नत किस्म की धान बाजार में आसानी से बिक जाते हैं, जबकि सामान्य किस्म के धान को बेचने में परेशानी होती है. एक और किसान कहते हैं की पिछले दस वर्षों में कतरनी चावल का बाजार तकरीबन 30 फीसदी बढ़ा है.
भागलपुर में उत्पादित होने वाली कतरनी चावल की मांग विदेशों में भी बढ़ रही है. यहां से चावल अमेरिका और सऊदी अरब तक जा रहे हैं. अगले वर्ष तक 500 टन चावल के निर्यात का लक्ष्य रखा गया है. वहीं कैमूर जिले में उत्पादित होने वाली गोविंद भोग चावल की भी मांग बहुत बढ़ गई है.