बिहार के गांवों में अब पानी की किल्लत नहीं होगी. राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में पानी उपलब्ध कराने के लिए 10 हजार गांवों में एक-एक चापाकल लगाया जायेगा, जिसकी गहराई 300 फुट होगी. पीएचइडी (Public Health Engineering Department) इस चापाकल लगाने के लिए 10 हजार ऐसे गांवों का चयन करेगा. जहां पर लोगों को 12 महीना और 24 घंटे नियमित पानी मिलता रहे. इसको लेकर विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है.
गांवों में चापाकल लगाए जाने की योजना की स्वीकृति के लिए जल्द ही प्रस्ताव को कैबिनेट भेजा जायेगा. प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के बाद ऐसे गांवों का चयन होगा, जहां चापाकल लगाये जायेंगे. इस योजना को पूरा करने के लिए लगभग छह माह का लक्ष्य रखा जायेगा.
विभाग ने अगले 50 वर्ष को देखते हुए 300 फुट गहरा चापाकल लगाने का निर्णय लिया है ताकि लोगों को हर माैसम में जरूरत का पानी मिलता रहे. अधिकारियों के मुताबिक बिहार में लोगों तक हर घर नल का जल पहुंचाया जा रहा है. इसके बावजूद ऐसे टोले और गांव को चिह्नित कर वहां के भूजल के स्तर को देखते हुए चापाकल लगाया जायेगा.
राज्य में अभी साढ़े आठ लाख चापाकल कार्यरत हैं. जिनसे लोगों को पानी मिल रहा है. इन सभी चापाकलों का जिओ टैगिंग किया गया है ताकि चापाकल के नियमित संचालन की नियमित रूप से पूरी निगरानी हो सके. वहीं, चापाकल नियमित काम कर रहा है या नहीं इसको लेकर वैसे टोले के तीन लोगों से हस्ताक्षर लिया जाता है. जिनके घर के आसपास चापाकल लगाया गया है.