केंद्र सरकार ने सभी राज्यों में स्वच्छता सर्वेक्षण की तर्ज पर जलापूर्ति सर्वेक्षण शुरू किया है. जिसमें पानी की शुद्धता को लेकर लाभुकों से फीडबैक लिया जा रहा है, ताकि केंद्र सकार सभी गांव में पेयजल की स्थिति का सही रिपोर्ट तैयार कर सकें. सर्वेक्षण के बाद राज्य की रैंकिंग की जायेगी और वहां के बेहतर काम करने वाले डीएम को सम्मानित किया जायेगा. लेकिन इस सर्वेक्षण से बिहार सरकार ने खुद को अलग कर लिया है.
केंद्र सरकार को भेजा पत्र
सूत्रों के मुताबिक इस संर्दभ में बिहार सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है. जिसमें कहा गया है कि इस सर्वेक्षण से बिहार को दूर रखा जाये. क्योंकि बिहार में हर घर नल का जल योजना का काम लगभग पूरा होने के कगार पर है.
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को जारी किया था दिशा-निर्देश
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, जलशक्ति मंत्रालय, भारत ग्रामीण पेयजल की उपलब्धता का सर्वेक्षण करा रही है. जल जीवन मिशन के तहत केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण परिवारों तक पेयजल की पहुंच का आकलन किया जा रहा है. इसकी रिपोर्ट हर वर्ष दो बार जारी किया जायेगा.
इस आधार पर हो रहा है सर्वेक्षण
सर्वेक्षण मुख्यत: चार बिंदुओं पर होगी. जिसमें ग्रामीण परिवारों के घरों में नल का जल की उपलब्धता, नल से मिलने वाले जल की मात्रा, जल की गुणवत्ता, जलापूर्ति की निरंतरता और पेयजल से संबंधित शिकायतों के मानकों पर संपादित किया जायेगा.
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केंद्र सरकार के डेसबोर्ड पर दिखेंगे सभी राज्यों के डेटा
केंद्र सरकार के डेसबोर्ड पर सभी राज्यों के डेटा को देखा जायेगा. वहीं, बिहार में नल का जल किस तरह से काम कर रहा है. इसको लेकर दूसरे राज्यों को जानकारी दी जायेगी कि बिहार में किस तरह से जलापूर्ति योजना में काम किया है. यहां किये गये कार्यों को दूसरे उन राज्य में मॉडल रूप में प्रयोग किया जायेगा.जहां अभी तक कम से कम काम हुए है.