बिहार में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर, फसल के उत्पादन को किया जायेगा प्रोत्साहित : कृषि मंंत्री
बिहार के कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने तथा किसानों को उनके फसल उत्पादों के लिए बेहतर मूल्य दिलाने के उद्देश्य से कृषि उत्पाद आधारित लघु उद्योगों की स्थापना के लिए बिहार राज्य उद्यानिक उत्पाद विकास कार्यक्रम पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 से कार्यान्वित किया जा रहा है.
पटना : बिहार के कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने तथा किसानों को उनके फसल उत्पादों के लिए बेहतर मूल्य दिलाने के उद्देश्य से कृषि उत्पाद आधारित लघु उद्योगों की स्थापना के लिए बिहार राज्य उद्यानिक उत्पाद विकास कार्यक्रम पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 से कार्यान्वित किया जा रहा है. इस योजना की अवधि 5 वर्षों की होगी.
लाभार्थी को 90 प्रतिशत अनुदान
इस योजना के तहत प्रथम वर्ष में समूह के गठन के उपरांत सभी ढांचागत सुविधा एवं मशीन आदि की संस्थापना के लिए राशि उपलब्ध कराया जाना है. द्वितीय एवं तृतीय वर्ष में उत्तम कृषि क्रियाएं, पैकेजिंग मेटेरियल एवं उत्तम स्वस्थ क्रियाएं हेतु ही मात्र राशि उपलब्ध करायी जायेगी. समूह के प्रस्ताव के आलोक में चतुर्थ एवं पंचम वर्ष में यथावश्यक मरम्मत एवं आकस्मिकता के लिए राशि उपलब्ध करायी जायेगी. उन्होंने कहा कि एक इकाई की स्थापना के लिए 10 लाख रुपये लागत मूल्य निर्धारित किया गया है, जिसमें लाभार्थी को 90 प्रतिशत अनुदान अर्थात 9 लाख रुपये की सहायता उपलब्ध करायी जायेगी.
फसल के उत्पादन को किया जायेगा प्रोत्साहित
बिहार राज्य उद्यानिक उत्पाद विकास कार्यक्रम के अंतर्गत भागलपुर, दरभंगा, पटना एवं सहरसा में आम, रोहतास में टमाटर, अररिया, समस्तीपुर में हरी मिर्च, पूर्वी चंपारण में लहसून, पश्चिमी चंपारण में हल्दी, भोजपुर में मटर, किशनगंज में अनानास, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी तथा शिवहर में लीची, कटिहार, खगड़िया में केला, शेखपुरा, बक्सर में प्याज, नालंदा में आलू, कैमूर में अमरूद, वैशाली में मधु और गया जिला में पपीता के फसल के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जायेगा.
समूह तैयार कर कराया जायेगा रजिस्ट्रेशन
कृषि मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत संबंधित जिलों के लिए चिह्नित फसलों के पूर्व से आच्छादित एवं उपलब्ध क्षेत्रों को कलस्टर के रूप में चिह्नित किया जायेगा. एक कलस्टर में 50 हेक्टेयर रकवा को सम्मिलित किया जायेगा. चिह्नित कलस्टर में सम्मिलित सभी कृषकों को एक समूह तैयार कर उसका पंजीकरण कराया जायेगा एवं समूह के प्रत्येक सदस्यों को कार्यक्रम के तहत अपनाये जाने वाले विभिन्न एक्टिविटी के लिए प्रशिक्षित कराया जायेगा. चिह्नित कलस्टर को उत्तम कृषि क्रियाओं से लाभान्वित एवं आच्छादित कर उद्यानिक फसलों के गुणवत्ता में वृद्धि करायी जायेगी.
वहीं, समूह के लिए चयनित कृषकों से अंशदान के रूप में न्यूनतम 5,000 रुपये प्रति कृषक समूह के खाते में जमा कराया जायेगा. सरकार के तरफ से समूह के खाते में 5 लाख रुपये मैचिंग ग्रांट दिया जायेगा. समूह के खाता में अंशदान यदि 5 लाख रुपये से कम होता है तो मैचिंग ग्रांट उसी के अनुसार दिया जायेगा.
प्रेम कुमार ने कहा कि राज्य में इस योजना के कार्यान्वयन से जिला विशेष में उपजने वाले फसलों को प्रोत्साहन मिलेगा, बाजार की मांग के अनुरूप विभिन्न उत्पाद यथा पल्प, जुस, जैम, जेली, स्क्वैश एवं फ्लेक्स, पाउडर आदि तैयार कराया जायेगा एवं उद्यमियों को सीधे कलस्टर से मार्केटिंग हेतु लिंक कराया जायेगा, जिससे उद्यानिक उत्पाद का शत-प्रतिशत सदुपयोग होगा, कृषकों को उत्पाद का अधिक मूल्य मिलेगा तथा ग्रामीण बेरोजगार पुरुष एवं महिलाओं को स्वरोजगार मिलेगा. इससे वहां के किसानों की आय में काफी वृद्धि होगी. कोरोना संक्रमण के कारण पलायन से वापस लौटे बेरोजगारों को स्वरोजगार के लिए यह योजना काफी लाभदायक सिद्ध होगा.