Bihar Caste Census : जाति आधारित जनगणना नहीं जातियों की हो गणना, भाजपा के प्रस्ताव पर सीएम तैयार

बिहार में जातीय जनगणना को लेकर आज हुई सर्वदलीय बैठक में सभी पार्टियों की सहमति से इसके प्रस्ताव को मजूर कर दिया गया है. भाजपा ने भी सहमति दी और कहा यह जाति आधारित गणना होनी चाहिए, न कि जाति आधारित जनगणना.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 1, 2022 8:41 PM

बिहार में जाति आधारित गणना कराने को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आयोजित हुई सर्वदलीय बैठक में भाजपा की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल और डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद शामिल हुए.

‘जनगणना’ शब्द के प्रयोग पर आपत्ति

इस बैठक में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. जायसवाल ने सबसे पहले इसमें ‘जनगणना’ शब्द के प्रयोग पर आपत्ति जतायी. उनका कहना था कि संविधान की सातवीं अनुसूची में इस बात का खासतौर से उल्लेख है कि जनगणना कराने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है. यह राज्य या समवर्ती सूची में भी शामिल नहीं है. ऐसे में यह जाति आधारित गणना होनी चाहिए, न कि जाति आधारित जनगणना.

सभी दलों ने पूरी तरह से सहमति जतायी

जाति आधारित गणना पर मुख्यमंत्री समेत अन्य सभी दलों के लोगों ने सहमति जतायी. यहां जाति आधारित गणना या सर्वे कराने को लेकर सभी दलों ने पूरी तरह से सहमति जतायी. साथ ही इसके मोडस ऑपरेंडी यानी कराने के तरीकों और इस दौरान बरती जाने वाली सावधानियों पर विचार-विमर्श किया गया.

ओबीसी आयोग से कराने पर बल

डॉ. जायसवाल ने कहा कि जाति आधारित इस सर्वे का उनकी पार्टी पूरी तरह से समर्थन करती है. परंतु इसे ओबीसी आयोग या ऐसे किसी आयोग से कराया जाये, ताकि भविष्य में किसी तरह के विवाद की स्थिति पैदा नहीं हो. इस पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी सहमति जतायी और इस कार्य को ओबीसी आयोग से कराने पर बल दिया. इससे कोर्ट-कचहरी का चक्कर नहीं रहे.

रोहिंग्या मुस्लिमों की गणना नहीं

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सीमांचल समेत आसपास के अन्य इलाकों में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों की गणना इसमें नहीं करायी जाये. ताकि कल को वे नागरिकता के लिए दावेदार न पेश करने लगें. इसमें खासतौर से सावधानी बरतने का सुझाव दिया. इस पर भी सभी दलों ने हामी भरी.

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पिछड़ी जातियों के हक का ध्यान विशेष तौर पर रखने को कहा

संजय जायसवाल ने इस सर्वे के दौरान पिछड़ों की हकमारी नहीं होने के लिए खासतौर से ध्यान देने को कहा. विशेषकर सीमांचल इलाके में शेख मुस्लिम स्वयं को शेखौरा और कुल्हाड़िया बताकर पिछड़ा आरक्षण का लाभ लेते हैं. इससे पिछड़ा समाज के मुस्लिमों की भी हकमारी होती है. इसमें खासतौर से ध्यान रखने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने अन्य सभी पिछड़ी जातियों के हक का ध्यान विशेष तौर पर रखने को कहा. इसमें हर धर्म और जाति के साथ ही इनकी उप जाति की भी गणना की जायेगी.

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