औसत बिजली हानि के मामले में बिहार टॉप 5 राज्यों में शामिल, स्मार्ट प्रीपेड मीटर की मदद से निकलेगा समाधान

औसत बिजली हानि के मामले में बिहार टॉप पांच राज्यों में है. वहीं स्मार्ट प्रीपेड मीटर की मदद से इस हानि को घटा कर 15 फीसदी तक लाने और राजस्व को 85 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 9, 2021 11:22 AM

स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगने से बिहार में बिजली की औसत तकनीकी एवं व्यावसायिक हानि (एटी एंड सी लॉस) में आधे से भी अधिक कमी आने का अनुमान है. फिलहाल सूबे को मिल रही कुल बिजली के लगभग 31 फीसदी हिस्से की औसत हानि हो रही है. मतलब 100 रुपये की बिजली की खरीद पर बिजली कंपनियों को अंतिम रूप से 69 रुपये का राजस्व ही मिल पा रहा है.

राजस्व को 85 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य

स्मार्ट प्रीपेड मीटर की मदद से इस हानि को घटा कर 15 फीसदी तक लाने और राजस्व को 85 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. इससे राज्य सरकार द्वारा इस मद में दी जाने वाली अनुदान में भी कमी आयेगी. मालूम हो कि औसत बिजली हानि के मामले में बिहार देश के पांच बड़े राज्यों में शुमार है.

चार वर्षों में लगेंगे 1.48 करोड़ प्रीपेड स्मार्ट मीटर :

बिजली कंपनी ने इस टास्क को चार वर्षों के अंदर पूरा करने का लक्ष्य रखा है. इस अवधि में पांच चरणों के दौरान सूबे में 1.48 करोड़ मीटर लगाये जायेंगे. इनमें 45 लाख मीटर साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन क्षेत्र में आने वाले जिलों में, जबकि 1.03 करोड़ मीटर नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी क्षेत्र में आने वाले जिलों में लगाये जायेंगे.

Also Read: बिहार के 100 विधायकों ने संपत्ति की गलत जानकारी देकर जीता चुनाव, इनकम टैक्स ने भेजा नोटिस
निश्चित अवधि में लक्ष्य को हासिल करने की तैयारी

फिलहाल केंद्र सरकार के उपक्रम पावर फिनांस कॉरपोरेशन, रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन और एनर्जी एफिशियंसी सर्विसेज लिमिटेड प्रीपेड मीटर लगाने का काम कर रही हैं.अब राज्य की दोनों वितरण कंपनियां साउथ बिहार और नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन भी यह कार्य करेंगी, ताकि निश्चित अवधि में लक्ष्य को हासिल किया जा सके.

पहले चरण में लग रहे 36 लाख प्रीपेड मीटर :

पहले चरण में सूबे में 36 लाख प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाये जाने हैं. इनमें 26.6 लाख मीटर नॉर्थ बिहार, जबकि 9.4 लाख मीटर साउथ बिहार इलाके में लगाये जायेंगे. इन पर 2700 करोड़ रुपये की कुल लागत आयेगी. कुल राशि में से 70 फीसदी राशि 1890 करोड़ रुपये कंपनी अपने संसाधन या राज्य सरकार से जुटायेगी, जबकि 30 फीसदी यानी 810 करोड़ रुपये नाबार्ड से ऋण के रूप में लिये जायेंगे.

राशि के लिए अनुमति मिली

विकास आयुक्त के स्तर पर गठित प्रोजेक्ट स्क्रीनिंग कमेटी से भी इस राशि के लिए अनुमति मिल गयी है. सूबे में अब तक करीब 2.25 लाख मीटर लगाये जा चुके हैं, जबकि कुल 1.48 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने पर 11,100 करोड़ रुपये खर्च किये जाने की योजना है.

Published By: Thakur Shaktilochan

Next Article

Exit mobile version