Bank Close: दो दिनों की हड़ताल, लेकिन लगातार 4 दिनों तक बंद रहेगी बिहार की 7620 बैंक शाखाएं, जानें तिथि और कारण
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स ने निजीकरण के खिलाफ 15 और 16 मार्च को दो दिवसीय हड़ताल की घोषणा की है. हड़ताल के कारण सूबे की 7620 बैंक शाखाओं में दो दिन ताला लटका रहेगा. वहीं, महीने के दूसरे शनिवार के कारण 13 व 14 को रविवार की छुट्टी रहेगी. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (बिहार राज्य इकाई) के संयोजक संजय कुमार सिंह ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी.
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स ने निजीकरण के खिलाफ 15 और 16 मार्च को दो दिवसीय हड़ताल की घोषणा की है. हड़ताल के कारण सूबे की 7620 बैंक शाखाओं में दो दिन ताला लटका रहेगा. वहीं, महीने के दूसरे शनिवार के कारण 13 व 14 को रविवार की छुट्टी रहेगी. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (बिहार राज्य इकाई) के संयोजक संजय कुमार सिंह ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी.
संजय कुमार सिंह ने बताया कि वित्त मंत्री ने बजट में दो और सरकारी बैंकों के निजीकरण की घोषणा की है. कौन से दो बैंक बंद किये जायेंगे, इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है. निजीकरण को लेकर सरकारी बैंकों के कर्मचारियों में डर का माहौल बन गया. इसकी वजह यह है कि इस निजीकरण का शिकार बड़े से लेकर छोटा तक कोई भी बैंक हो सकता है.
सिंह ने कहा कि इसके पहले सरकार आइडीबीआइ का 2019 में निजीकरण कर चुकी है. पिछले चार साल में 14 सरकारी बैंकों का विलय भी हो चुका है.उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक बैंकों की अहम भूमिका रही है. चाहे जनधन खाता खोलना हो या अन्य सरकारी योजनाओं को सफल बनाने में सार्वजनिक बैंकों की भागीदारी रही है.
सरकार बैंकों की जिस रफ्तार से निजीकारण कर रही है, उससे आने वाले दिनों में ग्रामीण इलाके में एक बार फिर से देश में सूदखोरी की परंपरा शुरू हो जायेगी. उन्होंने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का ऑपरेटिंग प्रॉफिट वर्ष 2009-10 में 76,945 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2019 -2020 में बढ़कर 1,74,336 करोड़ हो गया है. लेकिन, सरकार द्वारा गलत प्रोविजनिंग के कारण इस घाटे को कम कर दिखाया जा रहा है.
इस मौके पर एआइबीओसी के महासचिव अजीत कुमार मिश्रा ने कहा कि दो दिवसीय हड़ताल में सूबे के 50 हजार बैंक कर्मचारी और अधिकारी भाग लेंगे. वर्ष 2008 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के दौरान कई देशों के हजारों बैंक फेल हुए, लेकिन भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपनी सुदृढ़ व्यवस्था के कारण बचे रहे और देश की आर्थिक व्यवस्था को संभाले रखा.
मिश्रा ने कहा कि आज बैंकों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या एनपीओ की है. यूनियन द्वारा बार-बार मांग करने के बावजूद जानबूझ कर लोन नहीं चुकाने वाले बड़े डिफाल्टर की सूची सरकार प्रकाशित नहीं कर रही है. इस मौके पर जयंत कुमार सिंह, आरके सिंह, आरके चटर्जी, आलम हसन, जेपी दीक्षित, बी प्रसाद, रंजन राज, विजय राय आदि मौजूद थे.
Posted By: Thakur Shaktilochan