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बिहार में सोने के बाद अब इन जिलों में पेट्रोलियम की तलाश के लिए प्रक्रिया शुरू, ONGC ने किया है आवेदन

ओएनजीसी लिमिटेड ने बिहार में ओपन फील्ड लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी) के तहत तेल की खोज और उत्पादन के लिए बक्सर और समस्तीपुर के लिए पीईएल के तहत अनुदान के लिए आवेदन किया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 31, 2022 9:55 PM
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बिहार के जमुई की धरती में देश के सबसे बड़े सोने के भंडार की खुदाई के लिए सरकार द्वारा अनुमति दिए जाने के बाद अब तेल भंडार को लेकर खोज की प्रक्रिया शुरू की जा रही है. बिहार सरकार ने समस्तीपुर और बक्सर जिलों में गंगा किनारे तेल भंडार की उपस्थिति का आकलन करने को खोज (अन्वेषण) के लिए पेट्रोलियम अन्वेषण लाइसेंस (पीईएल) की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

पीईएल के लिए आवेदन

इस विषय में बिहार के अपर मुख्य सचिव सह खान आयुक्त हरजोत कौर बम्हरा ने बताया कि ONGC लिमिटेड ने तेल की खोज एवं उत्पादन के लिए जीवी-ओएनएचपी-2021/1 (समस्तीपुर) और जीवी-ओएनएचपी-2021/2 (बक्सर) के लिए ओपन एरिया लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी) के तहत पीईएल प्रदान किए जाने के लिए आवेदन किया है.

प्रक्रिया बहुत ही जल्द शुरू की जाएगी

हरजोत कौर ने कहा कि समस्तीपुर (308.32 वर्ग किमी) के क्षेत्र मेंत्र और गंगा बेसिन में बक्सर (52.13 वर्ग किमी) में तेल भंडार की स्थिति आकलन करने के लिए खोज की प्रक्रिया बहुत ही जल्द शुरू की जाएगी. इस संबंध में राज्य सरकार के खान एवं भूतत्व विभाग ने दोनों जिलों के प्रशासनिक प्रमुखों को पहले ही अवगत करा दिया है. इसके लिए जल्द ही अन्वेषण की प्रक्रिया शुरू होगी.

पीईएल की अवधि चार वर्ष

ओएनजीसी ने दोनों खंडों के लिए पीईएल के अनुदान के लिए क्षेत्र के नक्शे और सूची की प्रतियों के साथ आवेदन शुल्क का भुगतान भी किया है. इसने खान एवं भूविज्ञान विभाग को लिए अनुरोध पत्र में कहा है कि क्षेत्र के लिए एक पीईएल पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियम 1959 के नियम 5(1) के प्रावधानों के तहत दिया जा सकता है. पीईएल की अभीष्ट अवधि चार वर्ष है.

भू-रासायनिक सर्वेक्षण शुरू होगा

खोज के संबंध में विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पहला चरण में नवीनतम भूकंपीय डाटा रिकॉर्डिंग प्रणाली का उपयोग करके 2डी भूकंपीय सर्वेक्षण करने का होगा. इसके बाद उन्नत तकनीक का उपयोग करके भू-रासायनिक सर्वेक्षण शुरू होगा. सर्वेक्षणों को आने वाले दिनों में गुरुत्वाकर्षण चुंबकीय और मैग्नेटो-टेल्यूरिक (एमटी) सर्वेक्षणों के साथ पूरा किया जाएगा.

पहले भी तेल भंडार की खोज की गई थी

अधिकारी ने बताया कि सर्वेक्षण से उत्पन्न डेटा का अध्ययन या व्याख्या उच्च तकनीक वाले वर्कस्टेशन पर परिष्कृत सॉफ्टवेयर के साथ की जाएगी ताकि उन इलाकों में संभावित क्षेत्र का पता लगाया जा सके. उन्होंने कहा कि इससे पहले भी राज्य के कुछ हिस्सों में तेल भंडार की खोज की गई थी लेकिन कोई व्यावसायिक खोज नहीं हुई थी. हालांकि, इसने आगे की खोज के लिए मूल्यवान भूवैज्ञानिक जानकारी एकत्र करने में मदद की थी.

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