Bihar Bridge: पटना. बिहार में एक दर्जन से अधिक पूलों के ध्वस्त होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है. इस मामले में दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने तमाम पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट ने बिहार सरकार, एनएचएआई और सड़क परिवहन मंत्रालय से जवाब मांगा है.
12 पुलों के गिरने के बाद दायर हुई याचिका
बिहार में लगातार पुलों के गिरने के मामले को लेकर बीते 4 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिकाकर्ता ने पिछले दो साल के भीतर 12 पुलों के गिरने का हवाला देते हुए स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का आदेश देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की थी. छोटे-बड़े सभी पुलों के गिरने की घटना की जांच कराने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार, NHAI और सड़क परिवहन मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांग दिया है. बिहार सरकार, NHAI और सड़क परिवहन मंत्रालय की तरफ से जवाब दाखिल करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में फिर से मामले की सुनवाई होगी.
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महागठबंधन सरकार के समय गिरा था अगुवानी पुल
बिहार में पुल गिरने का सिलसिला उस वक्त शुरू हुआ था, जब राज्य में महागठबंधन की सरकार थी. तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम के साथ साथ पथ निर्माण विभाग के मंत्री भी थे. इसी दौरान बिहार में पुल गिरने का पहला मामला सामने आया था. भागलपुर में निर्माणाधीन अगुवानी पुल का एक हिस्सा गिर गया था और पुल के कुछ पाया गंगा में समा गए थे. इस घटना को लेकर खूब सियासत भी हुई थी. पुल निर्माण कंपनी एसपी सिंगला के ऊपर गंभीर आरोप लगे थे. तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री तेजस्वी यादव पर भी सवाल उठे थे. अगुवानी पुल के बाद बिहार में पुल गिरने का सिलसिला लगातार जारी है. इसके बाद से बिहार में कई पुल गिर चुके हैं. हाल के दिनों में हर दिन पुलों के गिरने की घटनाएं सामने आई हैं.