कुशेश्वरस्थान और तारापुर सीट का उपचुनाव का प्रचार चरम पर पहुंच चुका है. कटाक्ष,आरोप, घात, भीतरघात के तीर चलाये जा रहे हैं. यह सियासी संग्राम चुनाव लड़ रही चारों पार्टियों राजद, जदयू,कांग्रेस और लोजपा (चिराग) के लिए लिटमस टेस्ट की तरह है.
यह चुनाव बतायेगा कि बिना किसी चुनावी लहर में उनकी जमीनी हकीकत कैसी है? दरअसल यह टेस्ट प्रदेश के सियासी समीकरणों का नब्ज साबित होने जा रहा है. वह इसलिए कि इन सभी पार्टियों की सियासी दशा क्या होगी, चुनाव परिणाम तय करेगा.
सियासी जानकारों के मुताबिक इस उपचुनाव से साबित हो जायेगा कि सत्ताधारी दल उठान पर हैं अथवा ढलान पर. राजद को पता चल जायेगा कि गठबंधन करके चलने में फायदा है अथवा अकेले चलने में. दूसरी ओर, कांग्रेस को पता चल जायेगा कि उसकी अपनी ताकत क्या है?
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यह चुनाव यह भी बता देगा कि चिराग पासवान ही दिवंगत नेता राम विलास पासवान के असली सियासी वारिस हैं अथवा उनके चाचा केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस. कन्हैया कुमार की हनक का भी पता चल जायेगा. इस उपचुनाव में राजद के स्टार प्रचारक तेजस्वी यादव के सामने सबसे ज्यादा चुनौतियां हैं. दरअसल सारे विरोधियों के टारगेट पर अकेले तेजस्वी यादव हैं.
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सत्ताधारी दल के नेता कभी उनकी पढ़ाई, तो कभी राजद के पुराने कार्यकाल के तीखे व्यंग्यवाणों से हमलावर हैं.वे कांग्रेस के स्वार्थी होने के आरोपों को भी झेल रहे हैं. बड़े भाई की अघोषित बगावत झेल रहे तेजस्वी यादव के साथ चुनाव प्रचार में पिता लालू प्रसाद भी नहीं आ सके हैं. ऐसे में तेजस्वी यादव को कहना पड़ा कि वे चुनाव में अकेले हैं.
सत्ताधारी दल का पूरा एजेंडा लालू-राबड़ी कार्यकाल के पुराने मुद्दों को उछाल कर उसका वोट काटना है. उसके पास भविष्य की सुनहरी घोषणाएं हैं. सत्ताधारी दल द्वारा अपने सबसे बड़े ब्रांड मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम से वोट आकर्षित किये जा रहे हैं.
राजद नेता तेजस्वी यादव की आक्रामकता और उनकी लोकप्रियता अब धरातल पर दिखने लगी है. प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी होने का आत्मविश्वास साफ दिख रहा है. राजद को पूरा भरोसा है कि पिछले कुछ चुनावों के उपचुनावों में विपक्ष हारा नहीं है. कांग्रेस के पास स्टार प्रचारक के रूप में चर्चित चेहरा कन्हैया कुमार हैं, जो अब चुनाव प्रचार में उतरेंगे.
Published By: Thakur Shaktilochan