Bihar bypolls election 2024 इमामगंज विधानसभा उपचुनाव की घोषणा के बाद दलों के बाहर अंदर सरगर्मियां तेज हैं. यहां एनडीए से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (से.) और इंडिया से राजद का चुनवा लड़ना तय है. तीसरा कोण बनाने के लिए जन सुराज भी मैदान में उतर रहा है. गया से जीतन राम मांझी के सांसद बनने के बाद खाली हुई इस सीट से उनके परिवार के किसी सदस्य का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है. इसमें बिहार सरकार के मंत्री डॉ संतोष सुमन की पत्नी दीपा सुमन मांझी की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही है.
इस फेहरिस्त में मांझी के छोटे बेटे प्रवीण मांझी और दामाद देवेंद्र मांझी भी शामिल हैं. हम पार्टी ने उम्मीदवारी तय करने के लिए केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी को अधिकृत कर दिया है. सूत्रों के अनुसार 22 अक्तूबर को एनडीए की ओर से सभी चारों सीटों के लिए एक साथ उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की जायेगी.
राजद सूत्र बताते है कि इस बार के उपचुनाव में पार्टी किसी नये चेहरे को चुनाव मैदान में उतारने का मन बना रही है. पिछली बार उदयनारायण चौधरी राजद के उम्मीदवार थे. उन्हें जीतन राम मांझी के हाथों 16 हजार मतों से पराजय का सामना करना पड़ा था. वहीं, जन सुराज ने डाॅ जितेंद्र पासवान को अपना उम्मीदवार बनाया है.
राजद के उम्मीदवार की घोषणा की राह देख रहा हम
बताया जा रहा है कि हम की ओर से राजद उम्मीदवार उतारे जाने के बाद यहां से उम्मीदवार की घोषणा की जायेगी. 2020 में यहां से राजद ने उदय नारायण चौधरी को उतारा था. जीतन राम मांझी ने श्री चौधरी को पटखनी दी थी. इस बार भी उदय नारायण चौधरी समेत कई उम्मीदवारों के नाम की चर्चा है. श्री चौधरी चार बार इमामगंज विधानसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं. चर्चा है कि राजद भी अपने पुराने लड़ाकों के परिवार के किसी सदस्य को मैदान में उतार सकता है. अगर स्थिति ऐसी बनती है, तो इस सीट पर विरासत बचाने की ही लड़ाई आगे बढ़ेगी.
एनडीए में मांझी की पार्टी को मिली इमामगंज की सीट
एनडीए के भीतर इमामगंज की सीट केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हम को दी गयी है. इमामगंज सीट से मांझी पिछले दो विधानसभा चुनावों में लगातार जीत हासिल करते रहे हैं. इस बार उनके लोकसभा सीट जीतने के कारण इमामगंज की रिक्त सीट पर उपचुनाव कराया जारहा है.
इमामगंज का जातीय गणित क्या है
इमामगंज में कोइरी जाति के वोटर निर्णायक हैं. मांझी के साथ सवर्ण वोटर भी सीट में अहम भूमिका निभाते हैं. इस सीट पर वर्ष 2020 में यहां कुल वोटर 2.86 लाख थे. इसमें 1.48 लाख (51.94%) पुरूष, 1.37 लाख (48.05%) महिला और 17 ट्रांसजेंडर वोटर हैं.
पहली बार बने थे अंबिका सिंह विधायक
इस सीट पर पहला चुनाव 1957 में हुआ था. तब अंबिका प्रसाद सिंह विधायक बने थे. 1962 के चुनाव में भी अंबिका प्रसाद सिंह जीते, 1967 के चुनाव में कांग्रेस के डी राम, 1969 में एसएसपी के ईश्वर दास, 1972 में कांग्रेस के अवधेश्वर राम जीते थे. 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस के श्रीचंद सिंह जीते. इसके बाद 1990 में जेडीयू के उदय नारायण चौधरी, 1995 में रामस्वरूप पासवान जीते. 2000, 2005 और 2010 के चुनाव में उदय नारायण चौधरी की जीत हुई. 2015 के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने जेडीयू के उदय नारायण चौधरी को पटखनी दे दी. 2020 में भी मांझी की ही जीत हुई थी.
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