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Bihar bypolls election 2024: तरारी में त्रिकोणात्मक संघर्ष, भाकपा माले को सीट बचाने की चुनौती

Bihar bypolls election 2024 भाकपा-माले के राजू यादव और एनडीए से सुनील पांडेय की ताकत के बीच मुकाबले में तीसरा कोण बनेंगे जनसुराज के लेफ्टिनेंट जेनरल एसके सिंह

Bihar bypolls election 2024 बिहार में उपचुनाव की घोषणा होने के बाद भोजपुर जिले की तरारी विधानसभा सीट एकबार फिर चर्चा में है.तरारी में भाकपा माले का प्रभाव रहा है. वहीं बाहुबली माने जाने वाले सुनील पांडेय के चुनाव क्षेत्र के रूप में भी इसकी ख्याति रही है. तीसरा कोण इस बार जन सुराज ने बनाने की कोशिश की है. उसने सेना के एक रिटायर अधिकारी को चुनाव मैदान में उतार चुनावी राजनीति में नये आयाम गढ़ने का संदेश दिया है. शुक्रवार से नामांकन का कार्य आरंभ हो जायेगा. 13 नवंबर को होने वाले मतदान के दिन वोटरों के मन मिजाज का सही आकलन हो सकेगा.

भाकपा माले ने अपनी इस सीट पर कब्जा बरकरार रख पाने के लिए राजू यादव को उम्मीदवार बनाया है. राजू यादव 2019 के लोकसभा चुनाव में आरा लोकसभा सीट से भाकपा माले के उम्मीदवार रहे थे. इस बार के चुनाव में पार्टी ने राजू यादव की जगह तरारी के विधायक सुदामा प्रसाद को लोकसभा मेंउम्मीदवार बनाया. सुदामाप्रसाद ने केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को पराजित कर लोकसभा पहुंचे. अब उनकी खाली सीट परउप चुनाव हो रहा है. तरारी का इलाका भाकपा माले के प्रभाव वाला क्षेत्र रहा है. परिसीमन के पहले 1995 के विधानसभा चुनाव में यह इलाका सहार विधानसभा का अंग रहा था.

यहां माले नेता रामनरेश राम 1995 से 2005 तक चुनाव जीतते रहे. परिसीमन के बाद 2010 में सहार की जगह तरारी विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया. जिसमें पीरो विधानसभा का कुछ भाग भी आ मिला और नया अगिआंव विधानसभा क्षेत्र बना. परिसीमन के बाद 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में भाकपा-माले उम्मीदवार को निर्दलीय सुनील पांडे ने हरा दिया. सुनील पांडेय की छवि इलाके में दमखम वाले बाहुबली नेता के रूप में बनी. लेकिन, 2015 में भाकपा माले एक बार फिर भारी पड़ी और उसके उम्मीदवार सुदामा प्रसाद ने लोजपा की उम्मीदवार गीता पांडे को 272 वोट से पराजित कर जीत हासिल किया. 2020 के विधानसभा चुनाव में भी सुदामा प्रसाद ने लगभग 15 हजार वोट से जीतने में सफल रहे.

सुनील पांडेय फैक्टर से मुकाबला होगी माले के लिए चुनौती

इस बार भाकपा माले की राह आसान नहीं दिख रही. सुनील पांडेय हाल ही में अपने बेटे के साथ भाजपा में शामिल हुए हैं. उनके भाजपा में आने को उप चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है. 2020 के विधानसभा चुनाव में यह सीट एनडीए के भीतर भाजपा को मिली थी. सुनील पांडेय खुद उम्मीदवार हों या उनके परिवार के कोई सदस्य, चुनाव में वह एक फैक्टर होंगे, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. जहां तक तरारी में सामाजिक समीकरण की बात है तो यहां यादव, भूमिहार और मुस्लिम मतदाताओं का अधिक दबदबा है. अति पिछड़ी जातियों की संख्या भी अधिक है.

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परिसीमन के पहले जिले के संदेश और सहार की सीट पर हुए 1995 के विधानसभा चुनाव में माले का कब्जा रहा था. सहरा से जहां रामनरेश राम उर्फ पारसनाथ चुनाव जीतने में सफल रहे. वहीं संदेश सीट पर रामेश्वर प्रसाद को जीत मिली. इसके पहले 1990 के चुनाव में पीरो और जगदीशपुर विधानसभा सीट पर इनका कब्जा रहा था. परिसीमन के बाद बने तरारी की सीट पर राजद के बिजेंद्र यादव की जीत हुई और भाकपामाले के उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे.

जनसुराज के लिए अग्नि परीक्षा

जनसुराज ने इस सीट पर स्थानीय सेना के अधिकारी रहे एसके सिंह को उतार कर राजनीति में साफ सुथरी छवि को वोट देने की एक अपील जनता के नाम जारी कियाहै. हालांकि इस इलाके में सेना में भर्ती को लेकर युवाओं में जोश रहा है. ऐसे में प्रशांत किशोर की सभा और राजनीति में आये नये खिलाड़ी कितने मजबत साबित होंगे, यह चुनाव के दिन ही पता चल पायेगा.

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