जन्मदिन विशेष: रोजगार के पर्याय हैं बिहार के मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार के नेतृत्व में सूबे में विकास ने पकड़ी रफ्तार
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जन्मदिन 1 मार्च को है. नीतीश कुमार की अबतक की उपलब्धि जानिए..
1 मार्च को आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जन्मदिन है. लोकहितकारी राज्य की संकल्पना में लोकचिंता का स्वर महत्वपूर्ण होता है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीति इन्हीं वैचारिक मानदंडों को लेकर साथ चलती है. इसलिए 20 वर्षों के शासनकाल में आज भी ‘रोजगार’ सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने समावेशी विकास की अवधारणा को मूर्त आकार दिया है.
सबसे अधिक रोजगार देने वाला प्रदेश बना बिहार
बिहार विकास (विकास-दर 10.98%) के सभी प्रतिमानों में देश के अन्य राज्यों की तुलना तेजी से विकास कर रहा है .नीतीश कुमार के नेतृत्व में वर्ष 2005 से लेकर अब तक बिहार सर्वाधिक रोजगार देनेवाला प्रदेश बन गया. रोजगार की सभी संभावनाओं पर राज्य सरकार संवेदनशीलता के साथ विचार कर रही है.चाहे वह राज्य सरकार द्वारा सृजित हो या उसके द्वारा पोषित स्वरोजगार.
चरणबद्ध तरीके से शिक्षकों की नियुक्ति हो रही है..
मनुष्य को सशक्त बनाने में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण हथियार है, पर जब शिक्षा के माध्यम से राज्य में रोजगार की बयार बहने लगे, तो उसकी महत्ता ज्यादा बढ़ जाती है. हाल में बिहार सरकार ने शिक्षा विभाग के माध्यम से शिक्षकों की नियुक्ति कर पूरे देश में कीर्तिमान स्थापित किया है. नीतीश सरकार चरणबद्ध तरीके से शिक्षकों की नियुक्ति कर रही है. प्रथम चरण में 1.77 लाख, द्वितीय चरण में 1.04 लाख शिक्षकों की नियुक्ति हो गयी है और तीसरे चरण में 77 हजार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रियाधीन है. इस दिशा में पहली बार नीतीश कुमार के नेतृत्व में वर्ष 2005 में सरकार गठन के उपरांत ही कार्य शुरू हो गये थे. शिक्षा विभाग द्वारा ही लगभग चार लाख नियोजित शिक्षकों की बहाली की गयी थी. सरकार उन्हीं को सक्षमता परीक्षा के आधार पर राज्यकर्मी का दर्जा देने के प्रति कृतसंकल्पित है. वहीं, तकनीकी सेवा आयोग के द्वारा 2019- 24 तक 43000 युवाओं को रोजगार दिया गया है.
महिला केंद्रित विकास की अवधारणा को बल मिला
विकास की अवधारणा एक रैखिक के बनिस्पत समावेशी होती है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में महिला केंद्रित विकास की अवधारणा को बल मिला है. उन्होंने सर्वप्रथम महिलाओं को समृद्ध करने के लिए न केवल आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाया, बल्कि पंचायती राज अधिनियम 2005 के तहत 50 % आरक्षण देकर सशक्त भी बनाया. नीतीश कुमार ने महिलाओं को सशक्त करने की दिशा में राज्य सरकार की नौकरियों में 33% आरक्षण देकर बढ़ा काम किया है. इसलिए राज्य सरकार की सभी सेवाओं में महिलाएं दक्षता के साथ कार्य कर रही हैं. उसका एक सकारात्मक परिणाम देखने को यह मिल रहा है कि जहां वर्ष 2005 में बिहार पुलिस में महिलाओं की संख्या 867 थी, अब यह बढ़कर 24,267 हो गयी है.
महिला पुलिसकर्मियों की रिकॉर्ड संख्या बिहार में..
किसी भी राज्य में महिला पुलिसकर्मियों (22.67%) की सर्वाधिक संख्या बिहार में है. महिलाओं को उद्यमी बनाने के प्रति भी नीतीश सरकार संकल्पबद्ध है. उस दिशा में ‘महिला उद्यमी योजना’ एक महत्वपूर्ण कदम है. इस योजना में वर्ष 2022-23 में 260% की वृद्धि दर्ज की गयी है, जो कि प्रदेश में रोजगार के प्रति सकारात्मक माहौल का परिचायक है.
लेखक: डॉ कुमार वरुण सहायक प्राध्यापक, एएन कॉलेज