पटना : कोरोना के कहर से आम से लेकर खास तक सभी डरे हुये हैं. हाल ये है कि लोगों को थोड़ी भी सर्दी, खांसी और बुखार हो रही है तो वे कोरोना की आशंका में अस्पताल पहुंच रहें हैं. बुधवार को ही फ्लू की शिकायत लेकर पटना एम्स में 85 लोग पहुंचें. इन सभी को डर था कि कहीं मुझे कोरोना तो नहीं हो गया है. डाक्टरों ने स्क्रिनिंग के बाद इनमें से मात्र पांच को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती करने और कोरोना की जांच के लायक माना. वहीं दूसरी ओर बुधवार को आइजीआइएमएस में 27 मरीज कोरोना की आशंका में पहुंचे. यहां भी 12 को सैंपल लेने लायक समझा गया. डाक्टरों का कहना था कि बाकि में साधारण फ्लू के लक्षण हैं और ये बेकार में डरे हुये थे.
कुछ यही हाल पीएमसीएच और आइजीआइएमएस का है. यहां भी कोरोना की आशंका लेकर आने वाले ज्यादातर लोगों को साधारण फ्लू या सर्दी, खांसी की दवा देकर लौटा दिया जाता है.
डाक्टर मानते हैं कि लोग इन दिनों अपने हेल्थ को लेकर कुछ ज्यादा ही डरे हुये हैं. ऐसे में आने वाले सभी लोगों की अगर जांच करने लगे तो जरूरतमंदों को इलाज मिलने में मुश्किल आने लगेगी.
एक्सपर्ट बताते हैं कि मानव शरीर में जाने के बाद कोरोना वायरस फेफड़े को संक्रमित करता है. इसलिए पहले बुखार आती है, उसके बाद सूखी खांसी आती है और बाद में सांस लेने में परेशानी होती है. वायरस संक्रमण का लक्षण दिखने में औसतन पांच दिन लगते हैं. कई बार यह इसके बाद भी सामने आता है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक वायरस के शरीर के भीतर पहुंचने और लक्षण दिखने में 14 दिन का समय आमतौर पर लगता है. बीमारी के शुरूआती लक्षण फ्लू जैसे होते हैं.
पीएमसीएच में वायरोलोजी लैब के प्रमुख और नोडल पदाधिकारी डा सच्चिदानंद कुमार दावा करते हैं कि कोरोना संक्रमित 80 प्रतिशत लोगों में संक्रमण के मामूली लक्षण दिखते हैं. ये लोग बहुत आसानी ठीक हो सकते हैं. ऐसे लोग खुद भी ठीक हो सकते हैं. लेकिन समस्या यह होती है कि ये अगर आइसोलेट होकर घर पर नहीं रहें तो दूसरों में इसका संक्रमण फैला सकते हैं. और हो सकता है कि जिन्हें ये संक्रमित करें उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी नहीं हो जिससे यह उनके लिये जानलेवा साबित हो जाता है. इसलिये जिन लोगों को भी सर्दी, जुकाम, बुखार की समस्या है वे दूसरों से दूरी बनाकर घर में अलग कमरे में रहें.