धक्का-मुक्की, गाली-गलौज और गुटबाजी ही बिहार कांग्रेस का सच, नए प्रभारी के बिहार आते ही खुली पार्टी की पोल
बिहार कांग्रेस(Bihar Congress) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. चुनाव परिणाम में निराशाजनक प्रदर्शन सामने आने के बाद कार्यकर्ताओं व नेताओं के बीच की आपसी कलह भी अब पार्टी के लिए एक चैलेंज बन चुकी है. चुनाव परिणाम आने के ठीक बाद विधायक दल के नेता चुने जाने के समय से शुरू हुआ कलह अब नए बिहार प्रभारी(bihar congress in charge) की बैठक में खुलकर सामने आ चुका है. पार्टी के अंदर का यह अंदरूनी कलह बिहार में कांग्रेस के लिए एक बड़ा समस्या बन चुका है.
बिहार कांग्रेस(Bihar Congress) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. चुनाव परिणाम में निराशाजनक प्रदर्शन सामने आने के बाद कार्यकर्ताओं व नेताओं के बीच की आपसी कलह भी अब पार्टी के लिए एक चैलेंज बन चुकी है. चुनाव परिणाम आने के ठीक बाद विधायक दल के नेता चुने जाने के समय से शुरू हुआ कलह अब नए बिहार प्रभारी की बैठक में खुलकर सामने आ चुका है. पार्टी के अंदर का यह अंदरूनी कलह बिहार में कांग्रेस के लिए एक बड़ा समस्या बन चुका है.
बिहार में कांग्रेस को मजबूती देने का आलाकमान का प्रयास मुश्किलों में घिरा हुआ है. बिहार कांग्रेस के पूर्व प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने कुछ दिनों पहले जब पद त्यागने की गुहार लगाई तो सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो चुका था. कांग्रेस के अंदर बिहार में सबकुछ ठीक नहीं है, यह बात बाहर आने लगी थी. लेकिन शक्ति सिंह ने निजी कारणों का हवाला देकर जिम्मेदारी से खुद को अलग कर लिया. लेकिन नए प्रभारी के बिहार आते ही कांग्रेस की अंदरूनी पोल खुलकर सामने आ गई.
बिहार के नवनियुक्त प्रभारी भक्त चरण दास(bhakt charan das) के बिहार आते ही कांग्रेस में जमकर हंगामा हुआ. प्रभारी के नेतृत्व में चली बैठकों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं ने जमकर बवाल काटा. उनके आगमन के साथ ही कार्यकर्ताओं ने आरोपों की झड़ी लगा दी. कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि पार्टी ने विधानसभा चुनाव में पैसा लेकर टिकट बांटा. टिकट खरीद-बिक्री के आरोपों को साथ लेकर प्रभारी के सामने आए पार्टी के कार्यकर्ता व नेता दो दिनों के अंदर मार-पीट व गाली गलौज तक पर उतर गए. जिसका सामना कांग्रेस प्रभारी को भी करना पड़ गया.
कांग्रेस प्रभारी की बैठकों में कार्यकर्ताओं व नेताओं का अलग-अलग गुट खुलकर सामने आया है. बैठक की हालत इस स्तर पर पहुंच गई कि पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ता एक दूसरे पर कुर्सियां फेंकने लगे. माहौल को सही करने पार्टी कार्यालय में पुलिस को मोर्चा थामना पड़ गया. नेता निलंबित किए गए.
हालांकि ये उस समय भी यह दृश्य सामने आया था जब कांग्रेस अपने विधायक दल के नेता का चयन कर रही थी. इन तमाम चैलेंजों के बीच घिरी कांग्रेस बिहार में खुद को किस तरह मजबूत कर पएगी. नए प्रभारी के साथ यह आलाकमान के लिए भी बड़ी समस्या का विषय बना हुआ है.
Posted By :Thakur Shaktilochan