बिहार कांग्रेस के भीतर एक बार फिर नेताओं की गुटबाजी दिखी. पेगासस जासूसी (Pegasus Spyware) प्रकरण के विरोध में एआइसीसी के कॉल पर गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस का राजभवन मार्च आयोजित किया गया. पार्टी द्वारा आयोजित राजभवन मार्च से पार्टी के अधिसंख्य सांसद, विधायक व वरिष्ठ नेताओं ने किनारा कर लिया, जबकि आलाकमान ने फरमान जारी किया था कि सभी नेता प्रदर्शन में शामिल रहेंगे.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा घोषित राजभवन मार्च को पार्टी नेताओं के असहयोगात्मक रवैये से सदाकत आश्रम से निकलने वाले मार्च को रद्द कर पार्टी नेताओं को सीधे राजभवन के पास एकत्र हुए. निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पार्टी के नेता, सांसद, विधायक, पूर्व विधायक सहित सभी नेता सदाकत आश्रम से मार्च निकाल कर राजभवन पहुंचेंगे और वहां पर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे. पर ऐसा नहीं हुआ.
पार्टी नेता राजभवन के पास एकत्र हुए और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में प्रदेश कांग्रेस की ओर से राज्यपाल को सौंपे गये ज्ञापन में पार्टी ने गृहमंत्री का इस्तीफे की मांग की गयी. साथ ही इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के निगरानी में जांच कराने की मांग गयी है. साथ ही छह सवाल पूछे गये जिसमें विदेशी सॉफ्टवेयर की मदद लेना गलत कृत्य है या नहीं? अप्रैल-मई 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के कार्यालय सहित अन्य प्रमुख लोगों की जासूसी करवाने वाली इस सरकार की मंशा क्या थी? कितने रुपयों से इस सॉफ्टवेयर की खरीद की गयी और किसके आदेश से खरीद हुई? सरकार 2019 से जासूसी का कार्य पर चुप्पी क्यों साध रखी थी? राजभवन मार्च का नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने किया.
शिष्टमंडल में कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी, श्याम सुंदर सिंह धीरज, अशोक कुमार, डॉ समीर कुमार सिंह, पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार, एमएलसी प्रेमचंद मिश्र, पूर्व मंत्री कृपानाथ पाठक, मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़, विधायक कुमारी प्रतिमा दास, विजेंद्र चौधरी, अजय कुमार सिंह, पूर्व विधायक विनय वर्मा, ऋषि मिश्र, मनोज सिंह, गजानंद शाही मौजूद रहें.
Also Read: Pegasus Spyware : फोन तोड़कर ही मिलेगा पेगासस स्पाइवेयर से छुटकारा! जानिए यहां हर सवाल का जवाब
Posted By : Avinish Kumar Mishra