कोरोना संक्रमण कि दूसरी लहर के बीच किसी वजह से यदि नवजात शिशु की मां कोरोना संक्रमित हो जाती है. तो वैसी स्थिति में संक्रमित माता के द्वारा तमाम कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए शिशु को स्तनपान जारी रखे. इसको लेकर भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा सभी स्वास्थ्य सुविधा केंद्र एवं सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए एक स्तनपान मार्गदर्शिका जारी किया गया है. जिसमें कोरोना पॉजिटिव मां को नवजात को स्तनपान कराने के लिए जागरूक करने को कहा गया है.
सदर अस्पताल मुंगेर स्थित पोषण एवं पुनर्वास केंद्र की फीडिंग डेमोंस्ट्रेटर रचना भारती ने बताया भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के द्वारा जारी स्तनपान मार्गदर्शिका में विस्तार से स्तनपान के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी गई है. इस मार्गदर्शिका को जारी करने का मुख्य उद्देश्य माता के कोरोना संक्रमित होने के स्थिति में भी उसे स्तनपान कराने के लिए प्रोत्साहित करना है. मां का दूध नवजात शिशु के जीवन को बेहतर बनाने के साथ ही उसके शारीरिक और मानसिक विकास में भी मदद करता है. स्तनपान कराने से मां के स्वास्थ्य में भी बेहतर सुधार होता है.
उन्होंने बताया यदि किसी माता के कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हो जाती है तो वो मेडिकल मास्क पहनें, यदि उसे खांसी है और उसने छाती की ओर मुंह करके खांसा हो तो वैसी स्थिति में माता अपने स्तनों और छाती को धोएं. इसके बाद ही स्तनपान कराएं. इसके साथ ही यदि माता अपना स्तनपान कराने में सक्षम नहीं हो तो किसी की सहायता से मां का निकाला हुआ दूध बच्चे को पिलाएं. इसके बाद जब मां दुबारा स्तनपान कराने कि स्थिति में हो तो फिर से वो स्तनपान शुरू कराएं.
उन्होंने बताया कि यदि मां के दूध को अलग से निकालने में सक्षम नहीं हो और डोनर ह्यूमन मिल्क के उपलब्ध होने की स्थिति में माता के बिल्कुल ठीक होने तक बच्चे को डोनर ह्यूमन मिल्क ही पिलाएं. इसके बाद भी यदि माता बच्चे को स्तनपान कराने के लिए तैयार नहीं है तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर के परामर्श के अनुसार मां के दूध के वैकल्पिक साधनों के रूप में डब्बे का दूध दिया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि यदि किसी माता के कोरोना संक्रमित होने कि पुष्टि नहीं होती है तो माता को नियमित स्तनपान के लिए प्रेरित करने के साथ ही उसकी सहायता भी करनी चाहिए. नवजात बच्चे को उसके जन्म के पहले घंटे के अंदर मां का गाढ़ा पीला दूध यानी कॉलेस्टरोन अवश्य पिलाएं और जल्द से जल्द बच्चे के त्वचा से सम्पर्क स्थापित करें. इसके बाद छह महीने तक नवजात शिशु को सिर्फ मां का स्तनपान ही कराएं. इस दौरान शिशु को अलग से पानी भी देने कि जरूरत नहीं होती है. क्योंकि छह महीने तक मां के दूध में शिशु के लिए आवश्यक पानी की मात्रा उपलब्ध रहती है.
शिशु के छह महीने का होने के बाद ही उसे माता के स्तनपान के साथ ही अनुपूरक आहार के तौर पर हल्के खाने की चीजें जैसे खिचड़ी, खीर, हलवा, सहित अन्य चीजें दें. इस दौरान माता और शिशु एक पल के लिए भी एक- दूसरे से अलग नहीं रहें. माताएं अपने बच्चे को स्तनपान कराने से पूर्व अपने हाथों को साबुन – पानी या हैंड सैनिटाइजर से अच्छी तरह से साफ कर लें. इसके बाद ही शिशु को स्तनपान कराएं.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan