Bihar: लखीसराय के महाप्रणाल में दरार, मरम्मत का टेंडर दो बार हुआ स्थगित

Bihar: 2017 से तीन वर्षों तक चले खुदाई के बाद मिला वृहत बौद्ध महाविहार का भग्नावशेष में दरार आ चुका है. इसके बाद से इसके संरक्षण को लेकर आवाज उठ रही है. दो बार इसके लिए टेंडर निकाला गया लेकिन दोनों बार उसे रद्द कर दिया है.

By Ashish Jha | April 12, 2024 1:30 PM

Bihar: लखीसराय. जिला मुख्यालय स्थित लाली पहाड़ी पर विगत वर्ष 2017 से तीन वर्षों तक चले खुदाई में वृहत बौद्ध महाविहार का भग्नावशेष प्राप्त हुआ था. इसके बाद से इसके संरक्षण को लेकर आवाज उठ रही थी. कला संस्कृति एवं युवा मंत्रालय द्वारा भवन निर्माण निगम को लाली पहाड़ी के संरक्षण को लेकर जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. भवन निर्माण निगम द्वारा विगत नवंबर के बाद दो बार इसके संरक्षण को लेकर टेंडर निकाला गया था. लेकिन दोनों बार एक ही संवेदक के टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने की वजह से, तकनीकी कारणों से टेंडर मूर्तरूप नहीं ले सका. लाली पहाड़ी अपने संरक्षण की आस में ही रही. इस उपेक्षा से खुदाई में मिले महाप्रणाल में दरार आ गयी है. इसका समय रहते संरक्षण नहीं किया गया, तो इसके नष्ट होने का खतरा है.

पुरातात्विक महत्व की चीजें हो रहीं क्षतिग्रस्त

संरक्षण के अभाव में खुदाई स्थल पर घास व झाड़ियां उग आती हैं. हालांकि समय-समय पर उसे साफ भी कराया जाता है. बावजूद इसके खुदाई स्थल प्रभावित होता दिखाई दे रहा है. वहीं जगह संरक्षित नहीं होने से यहां मौजूद पुरातात्विक महत्व की चीजें भी प्रभावित हो रही है. बताया जा रहा है कि खुदाई स्थल पर बौद्ध महाविहार का महाप्रणाल भी मिला था, जो काफी आकर्षक है. 2018 में इसे देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार काफी प्रभावित हुए थे. इसके बाद उन्होंने लखीसराय में एक संग्रहालय के निर्माण की भी स्वीकृति दी थी. जानकारी के अनुसार, लाली पहाड़ी पर मौजूद खुदाई स्थल में लगे महाप्रणाल में कई जगह से दरारें आ गयी हैं. यदि समय रहते इसके संरक्षण की दिशा में कार्य नहीं किया जाता है, तो खुदाई स्थल पर मौजूद पुरातात्विक महत्व की सामग्रियों को और नुकसान पहुंच सकता है.

Also Read: Bihar: पटना के निजी स्कूल की टाइमिंग में बदलाव, गर्मी को लेकर ग्राउंड असेंबली बंद

…तो होगा बड़ा नुकसान : डॉ अनिल कुमार

लाली पहाड़ी की खुदाई कार्य का नेतृत्व करने वाले विश्व भारती विश्वविद्यालय शांति निकेतन के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के प्राध्यापक डॉ अनिल कुमार ने कहा कि पूर्व में बने डीपीआर में अवैज्ञानिक रूप से संशोधन करके डीपीआर को काफी कम कर दिया गया. इस वजह से इस कार्य के लिए उपयुक्त संवेदक अपनी रुचि नहीं ले रहे हैं. इससे टेंडर प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो रही है. यदि विभाग भी चाहे तो अपने स्तर से भी इसे संरक्षित कर सकता है. क्योंकि उसके पास भी अपना संसाधन मौजूद है. उन्होंने पुरातात्विक महत्व की चीजों के क्षतिग्रस्त होने पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि यदि समय रहते इसे संरक्षित नहीं किया गया, तो लखीसराय को पर्यटन के क्षेत्र में काफी नुकसान पहुंच सकता है. वे व्यक्तिगत रूप से विभाग से कई बार इसके संरक्षण को लेकर गुहार लगा चुके हैं. इसे लेकर वे सीएम के पास भी गुहार लगा चुके हैं.

Next Article

Exit mobile version