बिहार के नए डीजीपी विनय कुमार थाना स्तर पर सुधार के लिए सख्त दिख रहे हैं. अब बिहार पुलिस मुख्यालय ने थानों में दर्ज केसों के अनुसंधान की जिम्मेदारी संभाल रहे आइओ के मूल्यांकन की व्यवस्था तय की है. केस के आइओ को अब उनकी लापरवाही भारी पड़ेगी और ऐसे लापरवाह पुलिस पदाधिकारी पर निलंबन की तलवार चलाने की तैयारी में मुख्यालय है. उनका प्रमोशन भी अब अटकेगा. डीजीपी ने इसे लेकर निर्देश जारी किए हैं.
केस के आइओ पर अब बढ़ेगी सख्ती
बिहार के थानों में दर्ज केस के आइओ का कार्य मूल्यांकन किया जाएगा. अगर किसी केस के आइओ समय पर कार्रवाई नहीं करते हैं या सही अनुसंधान नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. केस की जांच में गुणवत्ता नहीं रखने वाले आइओ पर भी सख्त कार्रवाई होगी. ऐसे पुलिस पदाधिकारियों को अब सस्पेंड करने की तैयारी चल रही है. उनका प्रमोशन भी अब अटकेगा.
ALSO READ: मनमोहन सिंह ने बिहार को क्या कुछ दिया? विशेष राज्य के दर्जे को लेकर भी बनायी थी विशेष कमेटी
क्यों आइओ को लेकर गंभीर हैं डीजीपी?
आइओ को लेकर जारी निर्देश के पीछे की वजह पीड़ितों को सही न्याय दिलाना है. केस के अनुसंधान पदाधिकारी के कार्य का मूल्यांकन तीन स्तर पर होगा और मुख्यालय तक रिपोर्ट भेजी जाएगी. डीजीपी ने कहा कि पुलिस के अनुसंधान पर ही पीड़ित को त्वरित न्याय मिलेगा.
बिहार में क्राइम की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
जमानत पर बाहर आए अपराधियों के लिए फरमान
बिहार के डीजीपी ने करीब दो दर्जन बिंदुओं पर सही ढंग से कार्रवाई करने को लेकर आइजी, डीआइजी और एसपी स्तर पर पदाधिकारियों को पत्र लिखा है. उन्होंने वैसे अपराधियों की जमानत फौरन रद्द करने को कहा है जो जमानत पर हैं और अपराध से जुड़ी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. अपराधियों में खौफ पैदा करने के लिए कुर्की-जब्ती की कार्रवाई तेज करने का उन्होंने निर्देश दिया है. आगामी चुनाव को देखते हुए गुंडा रजिस्टर अपडेट करने के लिए डीजीपी ने जिलों को कहा है.
जमादार से लेकर एसपी स्तर तक गश्ती करने का निर्देश
डीजीपी ने निर्देश दिया है कि जमादार से एसपी स्तर के अधिकारी दिन-रात और शाम में गश्ती को प्राथमिकता दें. झपटमारी और चोरी की घटना को रोकने के लिए समान प्रवृति के कांडों का ग्रुप सुपरविजन करने की सलाह उन्होंने दी है.