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खतरनाक ऑनलाइन गेम के कारण बच्चे कर रहे आत्महत्या की कोशिश, बिहार आपदा प्राधिकरण ने जारी की एडवायजरी

बिहार राज्य आपदा प्राधिकरण के मुताबिक हाल में पटना में ऑनलाइन गेम के प्रभाव में एक छात्र गंगा में कूद कर आत्महत्या का भी प्रयास कर चुका है. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने आम लोगों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है ताकि ऐसे खतरे को रोका जा सके.

पटना. बिहार में ऑनलाइन मोबाइल और इंटरनेट गेम के खतरों से बच्चों में कई तरह की बीमारियां बढ़ रही हैं. वहीं, बच्चों में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसे रोकने के लिए बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने आम लोगों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है, ताकि इस खतरे को रोका जा सके.

बिहार आपदा प्राधिकरण ने जारी की एडवाइजरी

आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि बच्चों में लक्षण मिलने पर अभिभावक विद्यालय के अधिकारियों को सूचित करें. शिक्षक प्रार्थना के समय या चेतना-सत्र में बच्चों को ऑनलाइन मोबाइल व इंटरनेट गेम के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करते रहें. प्राधिकरण के मुताबिक मोबाइल और इंटरनेट पर हाल के दिनों में बच्चे अधिक समय दे रहे हैं. ऐसे में ऑनलाइन गेम खेलने की आदत भी उन्हें लग रही है. खतरनाक गेम के कारण बच्चे आत्महत्या करने की कोशिश कर रहे हैं.

ये हैं खतरनाक गेम

  • ब्लू व्हेल ,

  • मोमो,

  • फायर फ्राइ,

  • फाइव फिंगर आदि .

हाल में आयी है यह रिपोर्ट

  • प्राधिकरण के मुताबिक हाल में पटना में ऑनलाइन गेम के प्रभाव में एक छात्र गंगा में कूद कर आत्महत्या का भी प्रयास कर चुका है.

मोबाइल व इंटरनेट गेम खेलने वालों में मिल रहे हैं ये लक्षण

  • मोबाइल व इंटरनेट पर अधिक समय व्यतीत कर रहे हैं.

  • ऐसे बच्चे दोस्तों व परिवार के सदस्यों से दूरी बना लेते हैं.

  • बच्चों में अकेले रहने की प्रवृति.

  • अनिद्रा एवं चिड़चिड़ापन का होना. अधिक गुस्सा आना.

  • पढ़ाई, खेलकूद में शामिल नहीं होना.

  • कभी-कभी उनके शरीर पर गहरी चोट का निशान का आना.

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अभिभावकों के लिए यह है सलाह

  • बच्चों को गेम से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी दें.

  • बच्चों को डांटे नहीं, उससे बात करें और उसे समझाएं.

  • बच्चे के दोस्तों को घर पर बुलाएं और खेलने के लिए प्रोत्साहित करें.

  • बच्चों को मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप एवं इंटरनेट एक निश्चित समय के लिए दें.

  • बच्चों की काउंसेलिंग समय-समय पर करें.

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