बिहार में स्वास्थ व्यवस्था को बेहतर करने के लिए सरकार एक कदम उठाने जा रही. अब दवा विक्रेता लोगों से मनमानी कीमत नहीं वसूल सकें इसलिए राज्य के स्वास्थ विभाग ने मूल्य निगरानी संसाधन इकाई (प्राइस मॉनिटरिंग रिसोर्स यूनिट) के गठन का निर्णय लिया है. यह यूनिट विभिन्न दवा कंपनियों की दवाओं के मूल कीमत के अनुसार बिक्री प्रक्रिया की निगरानी करेगी.
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार राज्य में दवा विक्रेता कंपनी मूल्य निगरानी संसाधन इकाई का गठन नहीं होने के कारण निर्धारित विक्रय मूल्य से अधिक कीमत पर बाजार में धड़ल्ले से दवाएं बेचती हैं. इस यूनिट के द्वारा अब इसे नियंत्रित किया जा सकेगा. इसके गठन के बाद बिहार देश का 16वां ऐसा राज्य बन जाएगा जहां मूल्य निगरानी संसाधन इकाई का गठन होगा.
बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग के सचिव की अध्यक्षता में पिछले दिनों बैठक हुई थी. जहां इस इकाई के गठन को मंजूरी भी प्रदान कर दी गयी है. इस मूल्य निगरानी संसाधन इकाई में दवा निर्माता कंपनियों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे. जो कि समय-समय पर दवाओं की कीमत में होने वाले बदलाव की जानकारी इस इकाई को देंगे. इनके माध्यम से दवा कंपनियों की जिम्मेदारी भी उचित मूल्य पर दवाओं की बिक्री को लेकर तय की जा सकेगी. सूत्रों ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग राज्य में दवा प्रबंधन को मजबूत करने में जुट गया है.
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बता दें कि लगातार दवाओं की मनमानी कीमत, कालाबाजारी इत्यादि पर रोक के लिए स्वास्थ्य विभाग जुटा है. इन सारी चीजों पर अंकुश लग सके इसके लिए ड्रग इंस्पेक्टरों को महीने में कम से कम 20 दवा दुकानों के निरीक्षण करने का निर्देश भी बीते दिनों दिया गया था. अब एक बार फिर से इस तरह की इकाई का गठन कर स्वास्थ्य विभाग बेहतर सुविधा देने की तैयारी में है.