बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट: नीतीश सरकार के राज में कैसी है बिहार के शिक्षा की हालत, जानें कितना हुआ सुधार…
बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक पिछले छह साल में बिहार में शिक्षा व्यय में 58.3 फीसदी का इजाफा हुआ है. इसकी औसत वार्षिक वृद्धि दर 9.2 फीसदी रही . वित्तीय वर्ष 2014-15 में प्रदेश में कुल बजट का शिक्षा पर खर्च 17833 करोड़ था. वित्तीय वर्ष 2019-20 यह खर्च बढ़ कर 28234 करोड़ रुपये हो गया. वहीं, 2014-15 से 2019-20 के बीच कुल व्यय में शिक्षा की भागेदारी 13 से 19 फीसदी रही.
बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक पिछले छह साल में बिहार में शिक्षा व्यय में 58.3 फीसदी का इजाफा हुआ है. इसकी औसत वार्षिक वृद्धि दर 9.2 फीसदी रही . वित्तीय वर्ष 2014-15 में प्रदेश में कुल बजट का शिक्षा पर खर्च 17833 करोड़ था. वित्तीय वर्ष 2019-20 यह खर्च बढ़ कर 28234 करोड़ रुपये हो गया. वहीं, 2014-15 से 2019-20 के बीच कुल व्यय में शिक्षा की भागेदारी 13 से 19 फीसदी रही.
इन्हीं छह सालों में सामाजिक सेवाओं में हुए कुल व्यय में शिक्षा की भागीदारी 31 से 53 फीसदी तक पहुंच गयी. बिहार सरकार का प्राथमिक शिक्षा पर विशेष फोकस रहा. यह देखते हुए कि शिक्षा पर हुए कुल व्यय में प्राथमिक शिक्षा पर 66.4 फीसदी हिस्सा था, जबकि शेष 33.6 फीसदी व्यय माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा पर किया गया. इसमें शिक्षा से जुड़े शोध एवं अन्य सुविधाओं पर खर्च किया गया.
प्राथमिक स्तर पर 2018-19 में कुल नामांकन 141.35 लाख और उच्च प्राथमिक स्तर पर कुल नामांकन इसी समयावधि में 210.67 लाख था. रिपोर्ट में बताया गया कि अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों की संख्या में 7.2 फीसदी का इजाफा हुआ है. दरअसल 2012-13 में अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों का नामांकन 36.75 लाख से बढ़कर 2018-19 में 39.38 लाख हो गया है.
शिक्षा के मोर्चे पर राज्य सरकार ने ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या पर प्रभावी नियंत्रण पाया है. इसमें लगातार गिरावट आ रही है. शैक्षणिक सत्र 2012-13 में ड्रॉप आउट बच्चों का प्रतिशत 31.70 फीसदी था. 2018-19 में 21.35 फीसदी रह गयी है. रिपोर्ट में बताया गया कि महामारी के बाद में अप्रैल से अगस्त 2020 के बीच 1.26 करोड़ लाभार्थियों को 146721 टन खाद्यान्न बांटा गया है.
स्पेशल फैक्ट :
– बिहार में प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 1990-91 में 66116 से 2018-19 में बढ़ कर 80018 हो गयी है.
– 1990-91 में प्रारंभिक शिक्षकों की संख्या 216674 थी जो 2018-19 में बढ़ कर 369105 हो गयी है. इस तरह प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या तीन दशकों में 70 फीसदी से अधिक बढ़ी है.
-2019-20 में 1.66 करोड़ बच्चों को पाठ्य पुस्तक बांटी गयीं.
– उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात बढ़ाने के लिए विद्यार्थी क्रेडिट कार्ड योजना के तहत 88539 विद्यार्थियों को 1018 करोड़ बतौर ऋण के रूप में बांटे गये.
– मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन योजना के तहत 40651 स्नातक बालिकाओं को 101 करोड़ से अधिक दिये गये हैं.
Posted By :Thakur Shaktilochan