Loading election data...

स्कूलों में ड्रॉप आउट से निबटने के लिए अब घर-घर जाने की रणनीति बना रहा बिहार का शिक्षा विभाग, जानें क्या है तैयारी

बिहार का शिक्षा विभाग सूबे के स्कूलों में बढ़ते ड्रॉप आउट (Bihar school Drop Out) के आंकड़े पर गंभीर है. विभाग ने चार बिंदुओं की पहचान की है, जहां से बच्चे अक्सर स्कूल छोड़ देते हैं. प्रदेश में बड़े पैमाने पर ड्राप आउट के बढ़ते मामले से चिंतित विभाग अब बच्चों को ट्रैक करने की तैयारी कर रहा है. जिसके बाद बच्चों के माता-पिता को काउंसलिंग के बाद ड्रॉप आउट कम करने का रास्ता निकाला जाएगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 9, 2021 8:52 AM

बिहार का शिक्षा विभाग सूबे के स्कूलों में बढ़ते ड्रॉप आउट (Bihar school Drop Out) के आंकड़े पर गंभीर है. विभाग ने चार बिंदुओं की पहचान की है, जहां से बच्चे अक्सर स्कूल छोड़ देते हैं. प्रदेश में बड़े पैमाने पर ड्राप आउट के बढ़ते मामले से चिंतित विभाग अब बच्चों को ट्रैक करने की तैयारी कर रहा है. जिसके बाद बच्चों के माता-पिता को काउंसलिंग के बाद ड्रॉप आउट कम करने का रास्ता निकाला जाएगा.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अभी बिहार में कक्षा 1 से 12 वीं कक्षा के लिए लगभग 78,000 स्कूल हैं, जिसमें कुल 2.5 करोड़ छात्र हैं. विभाग ने चार बिंदुओं की पहचान की है, जहां से बच्चे अक्सर ड्रॉप आउट करते हैं. ड्रॉप आउट के अधिकतर मामले कक्षा 5वीं व 8वीं के बाद मिले हैं. जब एक छात्र को क्रमशः प्राथमिक से माध्यमिक और माध्यमिक से उच्च माध्यमिक कक्षाओं में बदलना पड़ता है. वहीं कक्षा 10 और कक्षा 12 बोर्ड के बाद भी ये मामले बनते हैं .

शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “ कक्षा 1 से 12 वीं कक्षा तक के छात्रों के नामांकन में गिरावट हमारे लिए चिंताजनक विषय है. राज्य सरकार के 2018-19 के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, हमने कक्षा 1 में 24,03,526 छात्रों का नामांकन किया था. लेकिन कक्षा 10 में यह संख्या गिरकर 15,37,628 हो गयी. करीब 9 लाख की यह गिरावट दर्ज की गयी है. वहीं कक्षा 12 वीं में यह 6,31,379 तक पहुंच गयी है. प्रधान सचिव ने कहा कि यह संख्या कक्षा 12 के बाद 4 लाख से भी कम छात्रों तक पहुंच गई.

उन्होंने कहा कि हम समझ सकते हैं कि 12वीं के बाद बच्चे बड़ी तादाद में प्रोफेशनल शिक्षा के क्षेत्र में चले जाते हैं. लेकिन कक्षा 5 और 8 के बाद के ड्रॉप आउट आंकड़े डराने वाले हैं. यह ड्रॉप आउट घर स्कूल की दूरी और अन्य कई कारणों से हो रही है. अब हमने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा है कि वे कक्षा 5 पास-आउट के लिए सेकेंडरी स्कूल और कक्षा 8 पास-आउट के लिए हाई स्कूलों का नक्शा तैयार करें. ताकि हम बच्चों के अभिभावकों को बता सकें कि कौन से मिडिल और हाई स्कूल उनके वार्ड के नजदीक हैं जहां वो दाखिला ले सकते हैं.

Also Read: बिहार में स्कूल खुलते ही कोरोना ने मचाया हड़कंप, अब सभी स्कूलों व कोचिंग सेंटरों में कोरोना जांच कराएगा शिक्षा विभाग

उन्होंने कहा कि हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी , चिकित्सा, फार्मेसी, कृषि, नर्सिंग और अन्य पेशेवर और तकनीकी पाठ्यक्रमों से डेटा प्राप्त कर रहे हैं. एक बार जब हमारे पास मैनेजमेंट सिस्टम हो जाएगा, तो हम हर बच्चे को ट्रैक कर सकते हैं और माता-पिता तक पहुंचकर काउंसलिंग के माध्यम से ड्रॉप-आउट कम कर सकते हैं.

Posted By :Thakur Shaktilochan

Next Article

Exit mobile version