बिहार के पास जरुरत से अधिक हाइड्रो व विंड पावर, गर्मी से पहले होगी 1850 मेगावाट की और खरीद
Bihar Electricity: बिजली आपूर्ति कंपनियों ने केंद्रीय विद्युत उत्पादन इकाइयों के साथ लंबी अवधि का समझौता पूरा कर लिया है. बिजली कंपनियों को उम्मीद है कि अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 में ही इकाइयों से यह बिजली मिलने लगेगी.
Bihar Electricity: पटना. बिहार की बिजली आपूर्ति कंपनियां केंद्रीय विद्युत उत्पादन इकाइयों से 1850 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्युएबल एनर्जी) की खरीद करेगी. यह खरीद एनटीपीसी (नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन) और एसइसीआइ (सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) से की जायेगी. इसको लेकर बिहार की बिजली आपूर्ति कंपनियों ने केंद्रीय विद्युत उत्पादन इकाइयों के साथ लंबी अवधि का समझौता पूरा कर लिया है. बिजली कंपनियों को उम्मीद है कि अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 में ही इकाइयों से यह बिजली मिलने लगेगी.
33 फीसदी रिन्युएबल विद्युत आपूर्ति की होगी चुनौती
दरअसल बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने अगले पांच वर्षों के लिए सूबे में आपूर्ति की जाने वाली नवीकरणीय ऊर्जा (सोलर, विंड व हाइड्रो व अन्य द्वारा उत्पादित) का लक्ष्य तय कर दिया है. 2029-30 तक सूबे में खपत होने वाली बिजली का न्यूनतम 43.33 फीसदी नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से उत्पादित बिजली द्वारा आपूर्ति की जानी है. रिन्युएबल पावर ऑब्लिगेशन (आरपीओ) के तहत 2025-26 के लिए यह लक्ष्य 33 फीसदी बिजली का है.
उत्पादन बढ़ाने के लिए लगाये जा रहे नये संयंत्र
गैर पारंपरिक ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाने के लिए बिजली कंपनियां लखीसराय के कजरा में बैट्री स्टोरेज सोलर पावर प्लांट लगाने के साथ ही नहरों में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट व नदियों के किनारे सोलर प्लेट लगाने का काम कर रही हैं. राज्य में सोलर पावर उत्पादन की सीमित परिस्थितियों को देखते हुए कंपनियां एनटीपीसी व एसइसीआइ द्वारा दूसरे राज्यों में स्थापित सोलर, विंड व हाइड्रो पावर प्लांटों से बिजली खरीदने का काम कर रही है.
आवश्यकता से अधिक उपलब्ध हाइड्रो व विंड पावर
बिजली कंपनी के मुताबिक बिहार आवश्यकता से अधिक विंड पावर खरीद रहा है. वहीं, आठ मार्च 2019 के बाद चालू हुए बड़े हाइड्रो प्लांट्स (एलएचपी) व पंप स्टोरेज प्लांट्स आदि से बिहार का हाइड्रो पावर का लक्ष्य भी पूरा हो सकता है. इसके साथ ही प्रावधान किया गया है कि राज्य में अपशिष्ट उत्पादों द्वारा संचालित ऊर्जा संयंत्रों से उत्पादित 100 फीसदी बिजली अनिवार्य रूप से खरीदनी होगी.
2022 के बाद उत्पादित विंड पावर ही मान्य
आरपीओ के तहत 31 मार्च 2022 के बाद चालू की गई विंड पावर परियोजनाओं (डब्ल्यूपीपी) से उत्पादित बिजली को ही रखा गया है. वहीं, आठ मार्च 2019 के बाद चालू बड़े हाइड्रो प्लांटस से उत्पादित बिजली को ही हाइड्रो पावर आरपीओ के तहत मान्य किया गया है. सोलर सहित अन्य गैर पारंपरिक ऊर्जा के लक्ष्यों को नवीकरणीय या हरित ऊर्जा आधारित किसी भी विद्युत परियोजना से उत्पादित बिजली द्वारा पूरा किया जा सकता है.
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