डायरेक्ट डेबिट सुविधा: बिजली उपभोक्ताओं का काम होगा आसान, झट से मिलेगा ये समाधान
डायरेक्ट डेबिट सुविधा -डीडीएफ बैंक भुगतान गेटवे की तरह ही एक एजेंट के रूप में काम करता है, जो नेट बैंकिंग, क्रेडिट/डेबिट कार्ड, मोबाइल वॉलेट और यूपीआई जैसे चैनलों के माध्यम से बिजली उपभोक्ताओं से ऑनलाइन भुगतान प्राप्त करता है.
डायरेक्ट डेबिट सुविधा बिहार के लिए बिजली संकट अब बीते दिनों की बात होगी. बिजली की स्थिति में सुधार के लिए साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसबीपीडीसीएल) ने केनरा बैंक के साथ मिलकर डायरेक्ट डेबिट सुविधा (डीडीएफ) की शुरूआत की है. इस व्यवस्था से एसबीपीडीसीएल के साथ मिलकर स्मार्ट मीटर से लेकर बिजली संकट दूर करने में लगी सभी कंपनियों को लाभ होगा. इनको समय पर पैसे मिलने लग जाएंगे.
इस व्यवस्था के लागू होने पर पटना शहर से लेकर बिहार के दूर-दराज में बसे लोगों को भी 24 घंटे बिजली आपूर्ति का लक्ष्य आसानी से पूरा हो जायेगा. अभी कई इलाकों में बिजली खंभे और तार नहीं पहुंच पाए हैं. जिसकी वजह से उपभोक्ता बांस के खंभों के सहारे बिजली की तार अपने घरों तक लाने को मजबूर हैं. डीडीएफ सुविधा से एसबीपीडीसीएल और इसके साथ मिलकर काम करने वाली कंपनियां आर्थिक रूप से मजबूत हो जाएंगी. इसका सीधा लाभ इनके काम पर मिलेगा.
एसबीपीडीसीएल इस पहल की शुरूआत करने वाला संभवत: देश का पहला डिस्कॉम है. एसबीपीडीसीएल को इससे बिजली व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन की उम्मीद है. जिससे राज्य में नए-नए उद्योगों को भी आकर्षित करेगा और आम जनजीवन भी आसान हो जाएगा, क्योंकि राज्य के आर्थिक विकास में बेहतर बिजली व्यवस्था का एक बड़ा योगदान है. इससे राज्य में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. इस महत्वाकांक्षी उपक्रम में पूरे क्षेत्र में स्मार्ट मीटरों की आपूर्ति, इंस्टॉलेशन, एकीकरण और रखरखाव शामिल है.
एसबीपीडीसीएल ने साउथ बिहार में 22.46 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए हैं. एसबीपीडीसीएल ने डिजाइन, निर्माण, वित्त, स्वामित्व, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओओटी) मॉडल के तहत स्मार्ट मीटरिंग को लागू करने के लिए एडवांस स्मार्ट मीटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस प्रोवाइडर्स (एएमआईएसपी) को अनुबंध प्रदान किए हैं.
आपको बता दें कि डीडीएफ महज एक भुगतान समाधान नहीं है, यह एक रणनीतिक कदम है जो निवेशकों/ऋणदाताओं को भुगतान में होने वाली देरी जैसी बड़ी समस्या के समाधान का रास्ता है. भुगतान में देरी की वजह से बिजली वितरण की महत्वपूर्ण परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में कई परेशानियां सामने आई हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
क्या है डीडीएफ
डीडीएफ बैंक भुगतान गेटवे की तरह ही एक एजेंट के रूप में काम करता है, जो नेट बैंकिंग, क्रेडिट/डेबिट कार्ड, मोबाइल वॉलेट और यूपीआई जैसे चैनलों के माध्यम से बिजली उपभोक्ताओं से ऑनलाइन भुगतान प्राप्त करता है. इस करार के बाद बिजली उपभोक्ताओं की ओर से जमा होने वाले बिजली बिल एसबीपीडीसीएल के केनरा बैंक वाले खाते में आएंगे. उपभोक्ताओं द्वारा जमा किए गए कुल मासिक बिल का 10 प्रतिशत हिस्सा करार के मुताबिक एडवांस मीटरिंग इंफ्रस्ट्रक्चर सर्विस प्रोवाइडर (एएमआईएसपी) के खाते में ऑटोमेटिक ट्रांसफर हो जाएंगे.