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कथावाचक बने बिहार के पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडेय, भागवत कथा के दौरान समझाते हैं कानून की धाराएं

बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय एकबार फिर चर्चे में बने हुए हैं. डीजीपी से राजनेता बने गुप्तेश्वर पांडेय अब कथावाचक की भूमिका में दिखते हैं. सोशल मीडिया पर पूर्व डीजीपी का कथावाचन लोग देख भी रहे हैं. वहीं इधर एक पोस्टर भी तेजी से वायरल हुआ है जिसमें कथावाचक के तौर पर उनकी तस्वीर लगी है और लोगों को जूम ऐप के जरिये कथा वाचन के लिए जुड़ने का आमंत्रण दिया गया.

बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय एकबार फिर चर्चे में बने हुए हैं. डीजीपी से राजनेता बने गुप्तेश्वर पांडेय अब कथावाचक की भूमिका में दिखते हैं. सोशल मीडिया पर पूर्व डीजीपी का कथावाचन लोग देख भी रहे हैं. वहीं इधर एक पोस्टर भी तेजी से वायरल हुआ है जिसमें कथावाचक के तौर पर उनकी तस्वीर लगी है और लोगों को जूम ऐप के जरिये कथा वाचन के लिए जुड़ने का आमंत्रण दिया गया.

गुप्तेश्वर पांडेय का नाम हमेसा सुर्खियों में रहता है. बिहार के डीजीपी रहने के दौरान पुलिसिंग को लेकर तो उसके बाद राजनीति में प्रवेश करके वो लगातार चर्चे में बने रहे. उन्होंने वीआरएस लिया तो राजनीति में आने की अटकलें तेज हुइ और कुछ ही दिनों के बाद गुप्तेश्वर पांडेय ने जदयू ज्वाइन कर लिया. विधानसभा चुनाव के ठीक पहले जदयू ज्वाइन करने वाले गुप्तेश्वर पांडेय को टिकट मिलने की भी प्रबल संभावना थी लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल सका. जिसके बाद सोशल मीडिया पर तरह-तरह की चर्चाएं भी शुरू हो गयी थी.

गुप्तेश्वर पांडेय इन दिनों आध्यात्म में लीन दिख रहे हैं. वो अब एक नये अंदाज में सबके बीच दिख रहे हैं. सनातन धर्म के संत के रूप में वो परिधान धारण कर कथा सुनाते दिखते हैं. श्लोक और चौपाइयों को सुनाकर वो उसका अर्थ हिन्दी में भी सुनाते हैं और लोगों को जीवन का महत्व बताते हैं. इश्वर का सिद्दांत और पाप तथा पुण्य की बात वो कथा के जरिये बताते दिखते हैं.

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कथावाचक बने बिहार के पूर्व dgp गुप्तेश्वर पांडेय, भागवत कथा के दौरान समझाते हैं कानून की धाराएं 2
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सोशल मीडिया पर उनके कथा वाचन की वीडियो भी तेजी से शेयर की जा रही है. इस दौरान वो कानून और आइपीसी की धाराएं भी बताते हैं. कथा के दौरान वो कहते हैं आज के समय की कानून व्यवस्था इंग्लैंड की देन है. हत्या के बाद उसका उद्देश्य देखा जाता है. अगर किसी के उपर पत्थर फेंका जाए और उससे अगले की मौत हो जाती है तो उसका उद्देश्य देखा जाएगा. अगर उसके पीछे का मकसद ऐसा नहीं मिला तो वो हत्या नहीं है.

वो कहते हैं कि अगर बम बारूद पिस्तौल जुटाना अपराध नहीं है, हत्या की तैयारी और हथियार जुटाना केवल हत्या का मामला नहीं होता. हत्या करने के बाद ही उसका मुकदमा दर्ज होता है. नहीं तो वो अवैध हथियार रखने का ही केवल मामला है. दरअसल पूर्व डीजीपी कथावाचन के दौरान इसी अंदाज में उदाहरण देकर भगवान और पूतना का वर्णन कर रहे थे. वो जीवन का महत्व व भागवत का संदेश बताते दिखे.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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