बिहार के किसानों का एक और कारनामा, धान और दलहन ही नहीं अब मशरूम की खेती में बनाया रिकॉर्ड
Bihar News In Hindi: मशरूम मौसम आधारित खेती है. जलवायु परिवर्तन का इस पर असर नहीं पड़ता. कम से कम 15 व अधिकतम 38 डिग्री सेल्सियस तापमान चाहिये. मैदानी क्षेत्र में 10 से 40 डिग्री तापमान पर मशरूम का उत्पादन होता है.
धनंजय पांडेय : मशरूम उत्पादन के मामले में उत्तर बिहार सहित पूरे राज्य ने शानदार उपलब्धि हासिल की है. राज्य में पिछले पांच साल में दो हजार से बढ़कर 22 हजार टन उत्पादन तक मशरूम का उत्पादन हो रहा है. पौष्टिकता के साथ ही औषधीय गुणों से भरे मशरूम के विभिन्न वेराइटी के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय, पूसा लगातार प्रयास कर रहा है.
विश्वविद्यालय के एडवांस सेंटर ऑफ मशरूम रिसर्च के प्रोजेक्ट डाइरेक्टर डॉ दयाराम ने बताया कि अभी पूरे राज्य में रिसर्च सेंटर की देखरेख में 57 प्लांट लगे हैं. इसमें 40 काफी बेहतर काम कर रहे हैं. कहा कि औषधीय मशरूम के प्रोडक्शन को लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. बताया कि मशरूम उत्पादन में बिहार देश में तीसरे स्थान पर है. पहले स्थान पर उड़ीसा और दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र है.
15 से 38 डिग्री पर होता है उत्पादन– मशरूम मौसम आधारित खेती है. जलवायु परिवर्तन का इस पर असर नहीं पड़ता. कम से कम 15 व अधिकतम 38 डिग्री सेल्सियस तापमान चाहिये. मैदानी क्षेत्र में 10 से 40 डिग्री तापमान पर मशरूम का उत्पादन होता है.
कोरोना काल में बढ़ी मशरूम की डिमांड- मशरूम में पौष्टिक तत्व के साथ औषधीय गुण भी होते हैं. कोरोना काल में उत्पादन और मांग दोनों में वृद्धि हुई है. डॉ दयाराम ने बताया कि औषधीय मशरूम न्यूट्रासिटिकल (औषधीय व पाक कला) होता है. कुछ मशरूम में केवल औषधीय ही होते हैं.
मशरूम में पौष्टिक और औषधीय, दोनों गुण होते हैं. मशरूम उत्पादन आमदनी का भी बढ़िया स्रोत है. रिसर्च सेंटर के माध्यम से मशरूम उत्पादन के लिए लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है. बिहार के विभिन्न जिलों में 57 उत्पादन इकाई काम कर रही है.
-डॉ आरसी श्रीवास्तव, कुलपति-राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय