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बिहार की पहली फूड डिलीवरी गर्ल राधा, जिसने खोल दी बेटियों के लिए एक नयी राह

Bihar Delivery Girl : जन्म से ही राधा दोनों पैरों (पोलियो से ग्रसित) से चलने में असमर्थ हैं. जब उन्होंने पहली बार फ़ूड डिलीवरी की तो उन्हें सलाम किया गया और उनके काम की सराहना की गई. राधा की गिनती राजधानी पटना के टॉप फूड डिलीवरी पार्टनर्स में होती है. लिस्ट में उनका नाम सबसे ऊपर आता है.

Bihar Delivery Girl : पटना. राजधानी पटना की रहने वाली राधा कुमारी बेखौफ होकर रात 12 बजे तक डिलीवरी का काम करती हैं. दानापुर तकिया की रहने वाली राधा कुमारी बिहार की पहली दिव्यांग डिलीवरी गर्ल हैं और ग्रेजुएट है. उन्होंने साबित कर दिखाया है कि दिव्यांग होना अभिशाप नहीं है. डिलीवरी का काम कर राधा अपने परिवार का भरण पोषण करती है. राधा कुमारी 8 से 10 डिलीवरी हर रोज कर लेती हैं. डिलीवरी का काम अब तक पुरुषों का पेशा माना जाता था, लेकिन राधा ने इस पेशे को अपना कर अपने परिवार की आर्थिक स्थिति तो मजबूत की ही है, बिहार की दूसरी बेटियों के लिए भी रोजगार के नये रास्ते खोल दिये है. दोनों पैरों से दिव्यांग राधा कुमारी का, जो आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है.

नमक रोटी खाकर की है घंटों काम

अपनी स्कूटी पर सवार राधा कुमारी मीडिया से बात करते हुए कहती है, “घर की माली हालत ठीक नहीं थी. पिता की मौत के बाद पूरे घर की जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई थी. कई बार नौकरी के लिए इंटरव्यू दिया, लेकिन मेरी विकलांगता आड़े आ गई. मैंने हार नहीं मानी और आज अपने परिवार का भरण-पोषण करने के साथ ही दूसरों की मदद भी करती हूं.” राधा कुमारी हर रोज 10 से 12 घंटे काम करती हैं और कभी-कभी तो डिलीवरी का काम करने में राधा कुमारी को 12:00 बज जाते हैं. राधा कहती है, “कई बार नमक रोटी खाकर भी घंटों काम करने की नौबत भी आ चुकी है.”

स्पोर्टस के क्षेत्र में भी राधा ने कमाया खूब नाम

राधा कुमारी का खेल से भी गहरा जुड़ाव रहा है. स्पोर्टस के क्षेत्र में भी राधा ने खूब नाम कमाया है. रग्बी में राधा कुमारी ने कांस्य पदक हासिल किया है. राधा कुमारी कहती है कि उसे एक स्पोर्ट्स ट्राई साइकिल की जरूरत है. ट्राई साइकिल के जरिए राधा अपने खेल को निखारना चाहती है. एक मीडिया चैनल से बात करते हुए राधा कुमारी ने कहा कि हमने परिस्थितियों से हार नहीं मानी और संघर्ष का रास्ता चुना. डिलीवरी के क्षेत्र में मैंने कदम बढ़ाया और कंपनी का भी सहयोग मिला. कंपनी ने मेरी उपलब्धि के लिए मुझे सम्मानित भी किया. राधा कहती है, ” लोगों का सहयोग भी मिलता है. सरकार से थोड़ी उम्मीद कि पेंशन की राशि बढ़ा दी जाए. दिव्यांगों को रोजगार मिले तो वह भी बेहतर जीवन जी सकते हैं.”

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