Bihar Flood: गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा और अन्य नदियों में आयी बाढ़ से बिहार के 16 जिलों के 55 प्रखंडों के 269 ग्राम पंचायतों की 9.90 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित है.
आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, सीवान, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, सारण और सहरसा बाढ़ प्रभावित है.
बागमती ने सात साल बाद फिर रौद्र रूप धारण किया है. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में इस बार औराई के जनाढ़ से धरहरवा तक सात किलो मीटर में तबाही मची है. तटबंध के अंदर और बाहर जनाढ़ से लेकर धरहरवा तक बाढ़ में लोगों के घर-बार उजड़ गए हैं. तटबंध के अंदर बसे 12 गांव के करीब सात हजार लोग घर-बार छोड़कर तटबंध पर शरण लिए हैं तो तबाही के बीच जान जोखिम में डालकर इन पंचायतों के छह हजार लोग अभी भी तटबंध के अंदर डटे हैं.
बाढ़ प्रभावित आबादी को सुरक्षण तरीके से निकालने के लिए एनडीआरएफ की 15 और एसडीआरएफ की 15 टीमों को तैनात किया गया है. इसके अतिरिक्त वाराणसी और रांची से एनडीआरएफ की 3-3 टीमें बुलाई गई हैं. बाढ़ प्रभावित लोगों को एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और स्थानीय नावों के माध्यम से सुरक्षित स्थान पर लाया गया है. आपदा प्रबंधन मंत्री संतोष कुमार बाढ़ की स्थिति पर नजर बनाये हुए हैं.
आवागमन को सुगम बानाने के लिए 800 नाव चलाई जा रही हैं. आवश्यकता पर नाव की संख्या और बढ़ायी जाएगी.
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जिला प्रशासन 127 सामुदायिक रसोई केंद्र चला रहा है. इसके माध्यम से 49400 लोगों को भोजन कराया जा रहा है. इसके अतिरिक्त 71 राहत शिविर लगाए गए हैं. यहां 54700 शरणार्थी शरण लिए हुए हैं. बाढ़ प्रभावित लोगों के बीच अब तक 30500 पॉलीथीन और लगभग 25600 सूखा राशन पैकेट बांटे गए हैं.
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में पर्याप्त दवा के साथ डॉक्टर तैनात किए गए हैं. आठ बोट एंबुएं लेंस पर मोबाइल मेडिकल टीम कार्यरत है.
कई स्वयं सेवी संस्थाएं भी राहत कार्य में शामिल हैं. एमएसयू के सदस्य लोगों को न केवल बाढ़ग्रस्त इलाकों से बाहर निकाल रहे हैं, बल्कि उन्हें भोजन पैकेट भी मुहैया करा रहे हैं.
पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव भी बाढ़ पीड़ितों के बीच पहुंचे और उन्हें राहत सामग्री देने का काम किया.