पटना : फूड प्रोसेसिंग, बिहार में अभी भी सबसे बड़ा रोजगार देने वाला सेक्टर है. यह अब भी रोजगार देने के लिहाज से सबसे बड़ा संभावनाशील सेक्टर भी है. अकेले राइस मिलिंग में अच्छी- खासी संख्या में प्रवासी मजदूरों को खपाया जा सकता है. स्थाई रोजगार के लिहाज से इसमें निवेश आकर्षित करने की भी योजना है. बिहार में अभी केवल 50 हजार टन धान की मिलिंग हो पाती है, जबकि राइस की उपलब्धता एक लाख टन से अधिक है. विभाग ने इसलिए इसे उच्च प्राथमिकता वाल सेक्टर घोषित कर रखा है. बिहार में करीब 300 से अधिक राइस मिल हैं. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक काफी राइस मिल बंद हैं , उन्हें चालू कराकर प्रवासी मजदूरों को खपाया जा सकता है. जानकारी के मुताबिक एमएसएमइ इस दिशा में वर्किंग कैपिटल उपलब्ध कराने जा रही है.
निजी हुनर भी जान रहा विभाग
उद्योग विभाग प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाने उनका का निजी हुनर भी जान रहा है, ताकि उसे फैक्टरी से परे स्वरोजगार भी दिलाया जा सके. उदाहरण के लिए काॅरपेटिंग, बुनाई , टेलरिंग आदि जानने वालों को स्वरोजगार भी दिलाया जा सकता है. उद्योग विभाग का सामान्य तौर पर मानना है कि काफी संख्या में मजदूर निर्माण क्षेत्रों से जुड़े हो सकते हैं. सरकार इन्हें इंफ्रास्ट्रक्टर के कार्यो में लगा सकती है. इस तरह उद्योग विभाग के स्किल सर्वे में ट्रेडवार रोजगार दिलायेगा. सरकार का ध्यान इस पर भी है कि प्रवासी मजदूर को उनके जिलों में ही रोजगार मिले. इसके लिए जिला उद्योग केंद्र खास डाटा भी तैयार कर रहे हैं. खासतौर पर किस जिले में कितने मजदूरों को खपाया जा सकता है. सरकार राज्य भौगोलिक परिस्थितियों और आर्थिक विकास के परिदृश्य का भी ध्यान रखेगी.
उद्योग विभाग के सचिव नर्मदेश्वर लाल के अनुसार – फूड प्रोसेसिंग निवेश और रोजगार के हिसाब से हमेशा हमारी उच्च प्राथमिकता में रहा है़ फिलहाल हम प्रवासी मजदूरों का स्किल सर्वे बड़ी गहराई से करेंगे़ सरकार की कोशिश है कि उसके ट्रेड के हिसाब से रोजगार दिलवाया जाये़ विभिन्न ट्रेडों में कहां-कहां काम है? इसका आकलन भी किया जा रहा है़ न केवल उद्योग, बल्कि विभिन्न रोजगार योजना चलाने वाले विभागों को प्रवासी मजदूरों की ट्रेड सूची दी जायेगी. मजदूरों का ट्रेड ही डिसाइड करेगा कि वे किस तरह का काम कर सकते हैं.