अरवल जिले में अनाज के भंडारण करने की व्यवस्था बहुत कम हैं. जिसके कारण जिला के किसान अपने अनाज को औने पौने दामों पर बेच देते हैं. भंडारण की व्यवस्था नहीं रहने से किसानों के समक्ष अनाज को सहेज कर रखने की समस्या है. इस कारण अनाज बर्बाद हो जाता है. अनाज भंडारण के लिए गोदाम कार्य शिथिल हैं. बिहार सरकार के कृषि विभाग के तहत संचालित योजना अन्न भंडारण योजना के तहत 200 एमटी का गोदाम किसान अपने निजी जमीन पर बना सकते हैं. गोदाम बनाने पर किसानों को 50 प्रतिशत का अनुदान भी दिया जाता है. लेकिन कृषि विभाग की शिथिल कार्य प्रणाली के कारण सरकार की यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी.
जानकारी के अनुसार वर्ष 2020-21में सिर्फ सात किसानों के आवेदन को गोदाम बनाने के लिए आवेदन दिया था. वही 21 -22 में 3 किसानों ने आवेदन दिया था जिसमे 1 आवेदन को निरस्त कर दिया गया. 22-23 में कोई आवेदन नहीं मिला. मालूम हो कि एक गोदाम के निर्माण पर दस लाख रुपये का खर्च आता है. कृषि विभाग की ओर से गोदाम बनाने वालों को पांच लाख रुपये का अनुदान दिया जाता है. कृषि विभाग के अधिकारी का कहना है कि गोदाम बनाने के लिए इस वित्तीय वर्ष में जो आवेदन आया हैं. उसे जांच के बाद स्वीकृत किया जायेगा. राज्य मुख्यालय स्वीकृति मिलते ही किसानों को गोदाम बनाने की अनुमति प्रदान की जाएगी.
अनाज रखने की व्यवस्था कहीं नहीं है. किसानों को फसल तैयार करने के साथ ही मजबूरी में खलिहान से ही अपना अनाज बेचना पड़ता है. भंडारण की व्यवस्था रहने पर इसका फायदा निश्चित रूप से किसानों को मिलेगा.
इस कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्यों में कृषि उपज और संसाधित कृषि उत्पादों के भंडारण की किसानों की जरूरतें पूरी करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अनुषंगी सुविधाओं के साथ वैज्ञानिक भंडारण क्षमता का निर्माण; कृषि उपज के बाजार मूल्य में सुधार के लिए ग्रेडिंग, मानकीकरण और गुणवत्ता नियंत्रण को बढ़ावा देना हैं.इसके तहत बाजार ऋण सुविधा प्रदान करते हुए फसल कटाई के तत्काल बाद संकट और दबावों के कारण फसल बेचने की किसानों की मजबूरी समाप्त हो जाएगी. कृषि जिन्सों के संदर्भ में राष्ट्रीय गोदाम प्रणाली प्राप्तियों की शुरूआत करते हुए कृषि विपणन ढांचा मजबूत करना शामिल है. इसके जरिए निजी और सहकारी क्षेत्र में भंडारण ढांचे के निर्माण में निवेश के लिए प्रेरित करते हुए कृषि क्षेत्र में लागत कम करने में मदद की जा सकती है.
ग्रामीण गोदाम के निर्माण की परियोजना में व्यक्तियों, किसानों, कृषक-उत्पादक समूहों, प्रतिष्ठानों, गैर सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, कम्पनियों, निगमों, सहकारी संगठनों, परिसंघों और कृषि उपज विपणन समिति द्वारा शुरू की जा सकती है.
अरवल जिले के जिला कृषि पदाधिकारी डॉ विजय कुमार द्विवेदी का कहना है कि यह बहुआयामी योजना है. खासकर ग्रामीण क्षेत्र के किसानों के लिए बहुत उपयोगी है.