बागवानी महोत्सव: यहां मिल रहा मशरूम के लड्डू, जानें क्यों चर्चा में है सात फुट के केले का घवद
इस महोत्सव में उद्यान से संबंधित कुल 50 सरकारी एवं गैर सरकारी ज्ञानवर्द्धक स्टॉल लगाये गये हैं, जिसमें उद्यानिक पौध सामग्रियां के प्रदर्शनी के साथ-साथ बिक्री की भी व्यवस्था की गयी है.
शहर के गांधी मैदान में 18 फरवरी तक चलने वाले बागवानी महोत्सव का आयोजन किया गया है, जिसमें प्रदेश के करीब 700 किसानों के द्वारा उद्यानिक फसलों के 16 वर्गों के लगभग 7500 पौधों की प्रदर्शनी लगायी गयी है. इसमें विभिन्न सब्जी, मशरूम, फल, फल संरक्षण, शहद, पान के पत्ते, शोभाकार पत्तीदार पौधा गमला में, बोनसाई, जाड़े की मौसमी फूलों के पौधे गमले में, विभिन्न प्रकार के कैक्टस एवं सकुलेन्ट पौधा, विभिन्न प्रकार के पाम प्रजाति के पौधे, कटे फूल, कलात्मक पुष्प सज्जा, औषधीय एवं सुगंधी पौधा, फल व सब्जी में नक्काशी, हैंगिंग बास्केट शामिल हैं.
इस महोत्सव में उद्यान से संबंधित कुल 50 सरकारी एवं गैर सरकारी ज्ञानवर्द्धक स्टॉल लगाये गये हैं, जिसमें उद्यानिक पौध सामग्रियां के प्रदर्शनी के साथ-साथ बिक्री की भी व्यवस्था की गयी है. इसमें मशरूम से बने लड्डू, पपीता का मुरब्बा करीब सात फुट के केले का घवद व विभिन्न तरह के पौधे आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा. वहीं, बिहार कृषि विवि सबौर, डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि पूसा, राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम, इंस्टीटूट ऑफ हॉर्टिकल्चर टेक्नोलॉजी दिल्ली, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस देसरी एवं चंडी, आइसीएआर बैंगलोर, आदि ने भी अपना स्टॉल लगाया.
बता दें कि, प्रदर्शनी के मूल्यांकन के लिए कृषि के विशिष्ट संस्थानों से तीन-तीन वैज्ञानिकों का मूल्यांकन टीम बनाया गया है, जिनके अनुशंसा के आलोक में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार दिया जाएगा. विजेताओं को प्रथम पुरस्कार पांच हजार रुपए, द्वितीय चार हजार रुपए, तृतीय तीन हजार रुपए एवं एक विशिष्ट पुरस्कार दस हजार रुपए का दिया जाएगा. इसके साथ ही सभी वर्गों के विभिन्न शाखाओं में सबसे अधिक पुरस्कार जितने वाले कृषक को श्रेष्ठ बागवान घोषित किया जाएगा तथा उन्हें विशिष्ट पुरस्कार तथा मोमेंन्टो से सम्मानित किया जाएगा.
इसके अतिरिक्त छत पर बागवानी फोटोग्राफ प्रतियोगिता, बच्चों के लिए फैन्सी ड्रेस प्रतियोगिता तथा क्विज का भी आयोजन किया गया है. मौके पर निदेशक उद्यान अभिषेक कुमार, गुजरात के निदेशक उद्यान, पीएम वघासिया, अपर निदेशक (शष्य) धनंजयपति त्रिपाठी आदि मौजूद थे.
स्ट्रॉबेरी की खेती से एक सीजन में चार लाख की आमदनी
वर्तमान में सितंबर से मार्च महीने तक करीब पांच टन स्ट्रॉबेरी का उत्पादन हो रहा है, इससे आसानी से चार लाख से अधिक रुपये का आमदनी हो जाता है. इसमें दो लाख का खर्च आता है. जबकि, इसकी शुरुआत मैंने ट्रायल के रूप में 200 पौधे से साल 2021 में किया था. उस दौरान नुकसान हो गया था. लेकिन, अब फायदा हो रहा है. – रविशंकर सिंह, कैमूर
10 फुट तक के घवद का हो रहा है उत्पादन
मैंनें साल 2021 में केले कि विभिन्न पौधे को अपने खेतों में लगाया और जिससे अच्छा परिणाम मिला उसे ज्यादा लगाने लगे. वर्तमान में करीब छह बिगहा जमीन में इसकी खेती कर रहे हैं. अब तक करीब 10 फुट केले का घवद आ चुका है. मेले में सात फुट केले का घवद प्रदर्शनी में रखा गया है. साल भर में करीब 15 लाख का कारोबार होता है. हालांकि, इसमें सरकार से मात्र 3120 रुपये का सहायता मिला है. अपने केले का नाम मैंने कलस्थानी बड़हरी केला दिया है.
– सुरेंद्र सिंह, सीतामढ़ी
मशरूम से लड्डू के साथ-साथ आचार भी बनाती हैं
मैंने साल 2016 में मशरूम की खेती करना शुरू किया. यह प्रयास सफल रहा. अब मैं मशरूम के बीज का भी उत्पादन कर रही हूं. साथ ही इससे अचार व लड्डू भी बनाती हूं. लड्डू लोगों को खूब आकर्षित भी कर रहा है. महीने में करीब 30 किलो मशरूम का उत्पादन होता है और करीब 40 हजार कमाती हूं. इसके लिए कृषि विभाग से किसी तरह का अनुदान नहीं मिला है. – प्रतिभा झा, दरभंगा
किसानों का फसलों का उचित मूल्य मिलेगा : कृषि मंत्री
उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा है कि बिहार में कुल 13.48 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी फसल की खेती होती है. इसमें फल की खेती 3.64 लाख हेक्टेयर, सब्जी की खेती 9.11 तथा मसाला की खेती 0.39 लाख हेक्टेयर की जाती है. उन्होंने कहा कि बिहार में नहीं उपजने वाली बागवानी फसलों की खेती भी बिहार में अब हो रही है. स्ट्राॅबेरी, ड्रैगनफ्रूट, सेब आदि फलों की भी खेती की जा रही है. कहा कि किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिले, इसके लिए सरकार काम कर रही है.
वे शुक्रवार को गांधी मैदान में आयोजित तीन दिवसीय बागवानी महोत्सव को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान ‘उद्यानिक फसल की खेती एवं प्रबंधन तकनीक’ पुस्तक एवं उद्यानिक फसलों का वार्षिक कैलेंडर का विमोचन किया गया. मौके पर कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि यह प्रतियोगिता छुपी हुई प्रतिभाओं की पहचान के लिए है. इससे लोगों को आश्चर्य होगा कि क्या ये पौधे भी बिहार में होते हैं.
उद्यानिक फसलों में देश पांच राज्यों में शामिल हैं. इसमें मखाना, लीची, आम, सब्जी उत्पादन शामिल हैं. बिहार में फूल का उत्पादन बढ़ा है. इस दौरान कई लाभुकों को विभिन्न योजनाओं का चेक दिया गया. महोत्सव में 50 सरकारी एवं गैर सरकारी जानकारी देने वाले स्टाॅल लगाये गये हैं. पौधों की प्रदर्शनी भी लगायी गयी है. 18 फरवरी को कार्यक्रम का समापन होगा.