राज्य में केंद्रीय मदद से चलने वाली शैक्षणिक योजनाओं के संचालन के लिए 2022-23 में 9184 करोड़ मिलेंगे. मंगलवार को प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक में संबंधित बजट प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है. शिक्षा विभाग ने 13983 करोड़ की मांग की थी.
केंद्रीय शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने एक बार फिर मांग रखी कि बिहार के शिक्षकों की सैलरी अनुदान बढ़ाया जाये. साथ ही भवनहीन स्कूलों के लिए बिल्डिंग बनवाने के लिए अतिरिक्त राशि दी जाये.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मंजूर किये गये बजट में शिक्षकों की सैलरी में 3424 करोड़, गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए 1938 करोड़, आरटीइ, किताब और पोशाक आदि के लिए 1575 करोड़ आदि के लिए राशि जारी की गयी है. केंद्र से प्रखंड स्तर पर कम्प्यूटर लैब खोलने के लिए भी 500 करोड़ का बजट दिया गया है. शेष राशि स्कूलों की मरम्मत आदि के लिए दी गयी है.
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बिहार ने शिक्षक की सैलरी में 5900 करोड़ की मांग की थी. इसमें सर्वाधिक 2478 करोड़ की कटौती हुई है. केंद्र ने बताया कि केंद्रीय वित्त विभाग ने इसे मंजूरी नहीं दी है. साफ किया कि सैलरी वित्त विभाग के पहले से चले आ रहे नियम के तहत ही दी जायेगी. वर्तमान में शिक्षकों के वेतन में केंद्रीय नॉर्म्स के तहत सैलरी अनुदान मिल रहा है.
दरअसल सर्व शिक्षा अभियान के तहत नियुक्त हुए शिक्षकों को अपने राज्य में बढ़ी हुई सैलरी देता है, इसलिए वह अधिक राशि मांगता है. पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बार का बजट करीब तीन हजार करोड़ अधिक है. बैठक में एसपीडी श्रीकांत शास्त्री , माध्यमिक शिक्षा निदेशक मनोज कुमार, प्रारंभिक शिक्षा निदेशक रवि प्रकाश, विशेष सचिव सतीश चंद्र झा, विनोदानंद झा, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी रवि कांत सिंह एवं अन्य अफसर मौजूद रहे.